________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: अ० 2 अष्टमी प्रतिपत्तिः ] [ 433 अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीयस्स अपज्जवसियस्स णस्थि अंतरं 11 / एतेसि णं भंते ! एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिं. दियाणं णेरइयाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसागां देवाणं सिद्धाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा णेरइया असंखेजगुणा देवा असंखेनगुणा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा चउरिदिया विसेसाहिया तेईदिया विसेसाहिया बेंदिया विसेसाहिया सिद्धा अणंतगुणा एगिदिया अणंतगुणा 12 // सू० 261 // अहया णवविधा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-पढमसमयनेरइया अपढमसमयणेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खनोणिया पढमसमयमणूसा अपढमसमयमणूमा पढमसमयदेवा अपढमसमयदेवा सिद्धा य 1 / पढमसमयणेरइए णं भंते ! पढमसमयणेरइएत्ति कालो केवचिरं होइ ? गोयमा ! एक्कं समयं 2 / अपढमप्तमयणेरइए णं भंते ! अपढमसमयणेरइएत्ति कालयो केवचिरं होइ , गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई समऊणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समऊणाई 3 / पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! एक्कं समयं 4 / अपढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अपढमसमयमतिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 5 / पढमसमयमणूसे णं भंते ! पढमसमयमणूसेत्ति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा! एक्कं समयं 6 / अपढमसमयमणूस्से णं भंते ! अपढमसमय मणूस्सेत्ति कालरो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाइं पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई 7 / देवे जहा णेरइए, सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिते 8 / पढमसमयणेरइयस्स णं भंते ! अंतरं कालो 55.