________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] विक्खंभेणं एमा जोयणकोडी बायालीसं सयमहस्साइं तीसं च सहस्साई दोरिण य अउणापरणे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं, ईसिपभारा य णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते श्रट्ठजोयणाई वाहुल्लेणं, तयाऽणंतरं च णं मायाए 2 पडिहायमाणी 2 सव्वेसु चरिमपेरतेसु मच्छियपत्तायो तणुयतरा अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहुल्लेणं पराणत्ता 11 / ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेजा पराणत्ता, तंजहा-ईसी इ वा इसोपभारा इ वा तणू इ वा तणतणू इ वा सिद्धी इ वा सिद्धालए इ वा मुत्ती इ वा मुत्तालए इ वा लोयग्गे इ वा लोयग्गथूभिया इ वालोयग्गपडिबुझणा इवा सव्वपाण-भूयजीव-सत्तसुहावहा इ वा 12 / ईसीपभारा णं पुढवी सेया संख-तल-विमल-सोल्लिय-मुणाल-दगरय-तुसारगोक्खीर-हारवराणा उत्ताणय-छत्त-संगणसंठिया सव्वज्जुण-सुवराणयमई अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडछाया समरोचिया सुप्पमा पामादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिख्वा, ईसीपभाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणंमि लोगते, तस्स जोयणस्स जे से वरिल्ले गाउए तस्स णं गाउअस्स जे से उवरिल्ले छभागिए तत्थ णं सिद्धा भगवंतो सादीया अपजवसिया योग-जाइ-जरा-मरण-जोणि-वेयणसंसारकलंकलीभाव-पुणब्भव-गब्भवास-वसही-पवंचसमइक्कंता सासयमणागयमद्धं चिट्ठति 13 // सू० 43 // गाथाः कहिं पडिहया सिद्धा ?, कहिं सिद्धा पडिट्ठिया ? / कहिं बोंदि चइत्ता णं, कत्थ गंतूण सिझई ? // 1 // अलोगे पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पडिट्ठिया। इहं बोंदि चइत्ता णं, तस्थ गंतूण सिझई // 2 // जैसंगणं तु इहं भवं चयं तस्स चरिमसमयंमि / श्रासी य पएसघणं तं संगणं तहिं तस्स // 3 // दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हवेज संगणं / तत्तो तिभागहीणं, सिद्धाणोगाहणा भणिया // 4 // तिरिण सया तेत्तीसा घणूत्तिभागो य होइ बोद्धव्वा / एसा