________________ 260 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विपागः परमइटुंगसंजुत्ते तहेव ते चित्तरसावि दुमगणा अणेगबहुविविह-वीससापरिणपाए भोजणविहीए उववेदा कुमविकुसविसुद्ध-रुखमूला जाव चिट्ठति 7, 14 / एगुरूए दीवे णं तत्थ 2 बहवं मणियंगा नाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो !, जहा से हारद्धहार-वट्टणग-मउड-कुंडल-वासुत्तग-हेमजालमणिजाल-कणगजालग-मुत्तगउचिइय-कडगाखुडिय-एकावलि-कंठसुत्त-मंग(ज). रि-मउरत्य-गेवेज-सोणिसुत्तग-चूलामणि-कणग-तिलग-फुलसिद्धत्यय-कराणवालि-ससिसूर-उसम-चक्कग-तलभंग-तुडिय-हत्थिमालग-वलक्ख-दीणारमालिता चंदसूरमालिता हरिमय-केयूर-वलय-पालंय-अंगुलेजग-कंचीमेहलाकलावपयरग-पायजाल-घंटिय--खिखिणि-रयणोरुजालत्थिगिय–वरणेउर. चलणमालिया कणगणिगरमालिया कंचणमणिरयणभत्तिचित्ता भूसणविधी बहुप्पगारा तहेव ते मणियंगावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणताए भूमणविहीए उववेया कुसविकुसविसुद्ध-रुस्खमूला जाव चिट्ठति 8, 15 / एगुख्यए दीवे तत्थ 2 बहवे गेहागारा नाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो! जहा से पागारट्टालग-चरियदार-गोपुर-पासायाकासतलमंडव-एगसालबिमालग-तिसालग-चउरंस-चउसालगभघर--मोहणघर-वलभिघर-चित्तसालमालयभत्तिवर-वट्ट-तंस-चतुरंस-दियावत्त-संठियायत-पंडुरतल-मुडमाल. हम्मियं श्रव णं धवलहर-श्रद्धमागह-विभम-सेलद्धसेलसंठिय-कूडागारट्ठ. सुविहिकोट्ठग-अणेगघर-सरणलेण--श्रावण-विडंगजाल-चंदणिज्जूह-अपवरकदोवालि-चंदसालिय-रूवविभत्तिकलिता भवणविही बहुविकप्पा तहेव ते गेहागा. रावि दुमगणा अणेगबहुविविध-वीससापरिणयाए सुहारुहणे सुहोत्ताराए सुहनिक्खमणप्पवेसाए ददरसोपाणपंतिकलिताए पइरिकाए सुहविहाराए मणोऽणुकूलाए भवणविहीए उववेया कुसविकुसविसुद्ध-रुक्खमूला जाव चिट्ठांति 1, 16 / एगोरुयदीचे तत्थ 2 बहवे अणिगणा णामं दुमगणा पराणत्ता समणाउसो ! जहा से योगसो मंतणुतं कंबल-दुगुल्ल-कोसेज-कालमिग