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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
दिये गये दान से, ( रससंसिडेण वा ) रज अर्थात् धूल लगे / मिट्टी लगे बर्तनों से आहर से ( परिसादणियाए ) पाणिपात्र में आहार को बार-बार डालकर भोजन करने से ( पइड्डावणियाए ) प्रतिष्ठापनिका भोजन से ( उद्देसियाए ) उद्देश्य कर दिये गये भोजन से ( णिसियाए ) निर्देश कर दिये गये आहार से ( कोदवडे ) क्रीत अर्थात् खरीद कर लाये भोजन से ( मिस्से जादे ) मिश्र भोजन से ( उविदे ) स्थापित में ( रइदे ) पौष्टिक भोजन में ( अगसिट्टे ) अनिसृष्ट में ( बलिपाहुडदे ) यक्षनागादिक के लिये लाये गये भोजन से ( पाहुडदे ) प्राभृत दोष से दूषित भोजन से ( घट्टिदे ) सर्वाभिघट और देशाभिघट दोष युक्त भोजन से ( मुच्छिदे ) मूच्छित दशा में भोजन करने से ( अइमत्तभोयणाहारे ) अधिक मात्रा में भोजन करने से ( इत्थ ) इस प्रकार ( मे ) मुझसे ( जो कोई ) जो भी कोई ( गोयरस्स ) आहार संबंधी ( अइचारो ) अतिचार (अणाचारो ) अनाचार हुआ (तस्स) तत्संबंधी (मे) मेरे ( दुक्कड ) दुष्कृत (मिच्छा ) मिध्या हों । मैं दोषों के निराकरणार्थ ( पडिक्कमामि ) प्रतिक्रमण करता हूँ ।
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भावार्थ - हे भगवन् ! गोचरी वृत्ति में हिंसा युक्त सावध ४६ दोषों युक्त आहार ग्रहण करने से जो दोष हुआ है स्निग्ध, रूक्ष आदि पान के भोजन से, फूलनयुक्त कांजिक, मथितादि भोजन करने से अथवा पौष्टिक आहार से, अग्नि में नहीं पके हुए गेहूँ, चना आदि भोजन करने से, नहीं पके हुए पत्र, पुष्प, मूल आदि का भोजन करने से अधः कर्म अर्थात् षट्जीवनिकाय के जीवों की विराधना से उत्पन्न भोजन से, आहार आदि दान ग्रहण कर दाता की प्रशंसा करने रूप दूषित भोजन से, आहार ग्रहण से पूर्व दाता के दान की, कुल परम्परा में दान की महत्ता बताते हुए दूषित भोजन से मुनि, पाखंडी, देवता आदि को उद्देश्य कर बनाये गये दूषित भोजन के ग्रहण से आपके लिये यह भोजन बनाया गया है ऐसा निर्देश करने पर भी दूषित भोजन के ग्रहण से अनुकंपा पूर्वक दिये गये दान से, दातार द्वारा जल से गीले बर्तन, गीले हाथ से दिये गये भोजन को ग्रहण करने से, धूल या मिट्टी से युक्त बर्तन द्वारा दिये गये आहार के ग्रहण से, करपात्र में आये आहार को बार-बार नीचे डालकर भोजन करने से, प्रतिष्ठापन अर्थात् भोजन के पात्रों को एक स्थान से अन्य स्थान में ले
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