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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका ११७ छसु आवासएसु, सत्तसु भयेसु, अट्ठसु सुद्धीसु, णवसु बंभचेर-गुत्तीसु, दससु समण-धम्मेसु, दससु धम्मज्झाणेसु, दससुमण्डेसु, बारसेसु संजमेसु, बावीसाए परीसहेसु, पणवीसाए भावण्णासु, पणवीसाए किरियासु, अट्ठारस- सील-सहस्सेसु, चउरासीदि-गुण-सय-सहस्सेसु, मूलगुणेसु उत्तरगुणेलु । अामान) (पक्ख्यिाम्म), { चउमासियम्मि), ( संवच्छरियम्मि), अदिक्कमो, अइचारो, अणाचारो, आभोगो, अणाभोगो जो तं पडिक्कमामि । मए पडिक्कतं तस्स मे सम्पत्तमरणं, पंडियमरणं, वीरिय-मरणं, दुक्खक्खओ, कम्मक्खओ, बोहिलाहो, सुगइ-गमणं, समाहि-मरणं, जिणगुण-सम्पत्ति होदु मज्झं ।
अन्वयार्थ—( दोसु अट्टरुद्ध संकिलेसपरिणामेसु ) दो भेद रूप आत रौद्र संक्लेश परिणाम ( तीसुअप्पसत्थ-संकिलेसपरिणामेसु ) माया, मिथ्या, निदान रूप तीन अप्रशस्त संक्लेश परिणामों में ( मिच्छाणाण-मिच्छा दसण-मिच्छा चरित्तेसु ) मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्रों में ( चउसु उवसग्गेसु ) वार प्रकार के उपसर्गों में ( चउसु सण्णासु ) चार प्रकार की संज्ञाओं में ( चउसु पच्चएस ) चार प्रकार के आस्रवों में ( पंचसु चरित्तेसु ) पाँच प्रकार के चारित्रों में ( छसु जीवणिकाएसु ) छह प्रकार के जीवों के समूह में ( छह आवासएसु ) छह प्रकार आवश्यकों में ( सत्तसु भयेसु ) सात प्रकार के भयों में ( अट्ठसु सुद्धीसु ) आठ प्रकार की शुद्धियों में ( णवसु बंभचेरगुत्तीसु ) नव-प्रकार ब्रह्मचर्य गुप्तियों में ( दससु समणधम्मेसु ) दस प्रकार के श्रमण धर्मों में ( दससु धम्मज्झाणेसु ) दस प्रकार के धर्म्यध्यानों में ( दससु मुण्डेसु ) दस प्रकार के मुंडों में ( बारसेसुसंजमेसु ) बारह प्रकार संयमों में ( बावीसाए परीसहेसु ) बावीस प्रकार परीषहों में ( पणवीसाए भावणासु ) पच्चीस प्रकार भावनाओं में ( पणवीसाए किरियासु ) पच्चीस प्रकार की क्रियाओं में ( अठ्ठारस-सील-सहस्सेसु) अठारह हजार शीलों में ( चउरासीदि-गुण-सय-सहस्सेसु ) चौरासी लाख गुणों में ( मूलगुणेसु ) मूल गुणों में ( उत्तरगुणेसु ) उत्तर गुणों मे [ अट्ठमियम्मि] आठ दिनों में [ पक्खियम्मि ] एक पक्ष में, [ चउमासियम्मि] चातुर्मास में [ संवच्छरियम्मि ] एक वर्ष में, [ अदिक्कमो ] अतिक्रम ( वदिक्कमो ) व्यतिक्रम ( अइचारो ) अतिचार ( अणाचारो ) अनाचार, ( आभोगो)