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विज्ञान प्रबोधिनी टी
जो कुछ भी थोड़ा या बहुत सम्पूर्ण गृहारंभ / घर सम्बन्धी आरंभ का सदा के लिये त्याग करना सो आठवीं आरम्भ त्याग प्रतिमा है।
परिग्रहत्याग प्रतिमा
मोत्तूण वत्यमित्तं परिग्गहं जो विवज्जदेसेसं ।
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तत्यवि मुच्छणं करेदि, वियाण सो सावओ णवमो ।। ९ ।।
वस्त्र मात्र को छोड़कर शेष सभी परिग्रहों का जो त्यागी है तथा उन वस्त्रों में भी जो मूर्च्छा को नहीं करता है, वह नवमी परिग्रह त्याग प्रतिमा का धारी श्रावक है ।
अनुमतित्याग प्रतिमा
पुट्ठो वाsपुट्ठो वा, जियगेहिं परेहिं सग्गिहं कज्जे । अणुमणणं जो ण कुणदि, विषाण सो सावओ दसमो ।। १० । । जो अपने या दूसरों के गृहकार्य संबंधी आरम्भ में पूछने पर या नहीं भी पूछने पर जो अनुमति नहीं करता है वह दसमी अनुमति त्याग प्रतिमाधारी श्रावक है।
उद्दिष्टत्याग प्रतिस
पावकोडीसु विशुद्धं, भिक्खायरणेण भुंजदे भुंजं ।
जायणरहियं जग्गं, एयारस सावओ सो दु ।। ११ । ।
नवकोटि से शुद्ध, शिक्षा के आचरणपूर्वक दीनतारहित जो भोजन करता है वह ग्याहरवीं प्रतिमाधारी श्रावक है ।
एयारसम्म ठाणे, उक्किठ्ठो सावओ हवई दुविहो ।
त्थे घरो पढमो, कोवीण परिग्गहो विदिओ ।। १२ । ।
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ग्यारहवीं उद्दिष्टत्याग प्रतिमा स्थान में श्रावक दो प्रकार के हैं प्रथम खंड वस्त्रधारक ( चद्दर, लंगोटधारी ) दूसरे कोपीन ( लंगोट ) मात्र परिग्रह
धारक |
तव वय नियमावासय, लोचं कारेदि पिच्छगिच्छेदि । अणुवेहा धम्मझाणं, करपत्ते एय ठाणम्पि । । १३ ।।
उत्कृष्ट श्रावक तप, व्रत, नियम, आवश्यकों का पालन करते हुए बारह अनुप्रेक्षा और धर्म्यध्यान में समय व्यतीत करते हैं। लोच करते हैं,