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१५० विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका है ( पमुत्ति मग्गं ) प्रकृष्ट मुक्ति-मार्ग है ( मोक्खमग्गं ) मोक्ष का मार्ग है। ( पमोक्ख-मग्गं ) प्रमोक्ष मार्ग है ( णिज्जाण-मग्गं ) निर्याण का/निर्वाण का मार्ग है ( णिव्वाप मग्गं ) मुक्ति का मार्ग है ( सब्ब दुक्ख परिहाणि मगं ) सब दुखों के क्षय करने का मार्ग है ( सुचरिय-परिणिध्वाण मगं) सुचारित्र के धारक मनुष्यों के परिनिर्वाण का मार्ग है ( जत्थ-ठिया-जीवा सिझंति, बुज्झति, मुंचंति, परिगतामति दुशागत करेंति ) जिस निग्रंथ रूप चारित्र में स्थित होकर जीव सिद्ध होते हैं बुद्ध/केवलज्ञानी होते हैं, मुक्त होते हैं पूर्ण निर्वाण को प्राप्त कर सभी प्रकार के दुखों का अन्त करते हैं । ( तं सद्दहामि ) उस निग्रंथ लिंग की मैं श्रद्धा करता हूँ (तं पत्तियामि ) उसी की मैं प्रतीति करता हूँ ( तं रोचेमि ) उसी की मैं रुचि करता हूँ ( तं फासेमि ) उसी का स्पर्श करता है । इदो उत्तरं अण्णं णत्थि) इस निग्रंथ लिंग से भिन्न अन्य कोई लिंग नहीं है ( ण भूदं ) भूतकाल में भी नहीं था ( ण भविस्सदि ) न भविष्यकाल में होगा ( कयाचि वा कुदोचि वा) कभी भी या किसी के भी नहीं है। ( णाणेण वा, दंसणेण वा, चरित्तेण वा ) ज्ञान से या दर्शन से या चारित्र से ( सत्तेण वा) या सत्र से ( सीलेण वा, गुणेण वा, तवेण वा ) शील से या गुण से या तप से ( णियमेण वा) नियम से या ( वदेण वा, विहारेण वा, आलएण वा) व्रत से या विहार से या ( अज्जवेण वा) आर्जव से या ( लाहवेण वा) लाभ से ( अण्णेण वा ) अन्य भी कारणों से ( वीरिएण वा ) वीर्य से (समणोमि ) मैं श्रमण होता हूँ। संजदोमि ) मैं संयत होता है। उवरदोमि) मैं उपरत होता हूँ ( उवसंतोमि ) मैं उपशान्त होता हूँ ( उवहि-णियडिमाण-माया-मोस-मूरण) उपधि, निकृति/वंचना, मान, माया, असत्य, मूर्छा ( मिच्छाणाण-मिच्छादसण-मिच्छाचरित्तं च पडिविरदोमि ) मैं मिथ्याज्ञान, मिथ्यादर्शन और मिथ्याचारित्र का त्याग करता हूँ । ( सम्मणाणसम्म दंसण-सम्म-चरित्तं च रोचेमि ) सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यग्चारित्र की रुचि करता हूँ/श्रद्धा करता हूँ। ( जं जिणवरेहिं पण्णत्तो) जो जिनेन्द्रदेव के द्वारा प्रज्ञप्त है ( जो मए ) मेरे द्वारा जो ( पक्खिय ) पक्ष/१५ दिनों में [चउम्मासिय] चातुर्मास में ( संवछरिय ) संवत्सार/एक वर्ष में ( इरियावहिकेसलोचाइचारस्स ) ईर्यापथ में, केशलोंच के अतिचार का ( संथारादिचारस्स) संस्तर आदि के अतिचार का ( पंथादिचारस्स ) पंथ आदि अतिचार का