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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका अइक्कमणदाए, वीरियस्स-अइक्कमणदाए, से अक्खर-हीणं वा, सरहीपां ला, विजण सीणं ला, पद हीणं खा, अल-हीणं वा, गंथ-हीणं वा, थएसुवा, थुइसु वा, अट्टक्खाणेसु वा, अणि-योगेसु वा, अणियोगद्दारेसु वा, जे भाषा पण्णत्ता, अरहंतेहि, भयवतेहि, तिस्थयरेहि, आदियरेहि, तिलोग-गाहेहि, तिलोग-बुद्धेहि, तिलोग-दरसीहि, ते सहहामि, ते पत्तियामि, ते रोचेमि, ते फासेमि, ते सहस्तस्स, से पत्तयंतस्स, ते रोचयंतस्स, ते फासयंतस्स, जो मए पक्खिओ (चउमासिओ) (संवच्छरिओ) अदिक्कमो, वदिक्कमो, अइचारो, अणाचारो, आभोगो, अणाभोगो, अकालो, सज्झाओ, कओ कालेवा, परिहाविदो, अच्छाकारिद, मिच्छामेलिदं, आमेलिदं, वा मेलिदं, अण्णहा-दिण्णं, अण्णहा-परिच्छदं, आवासएसु, पडिहीणदाए तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।
अन्वयार्थ—( णमोक्कार पदे ) नमस्कार पद में, ( अरहंत पदे) अरहंत पद में ( सिद्ध पदे ) सिद्ध पद में ( आइरियपदे ) आचार्य पद में ( उवज्झाय-पदे ) उपाध्याय पद में ( साहुपदे ) साधु पद में ( मंगल पदे) मंगल पद में, ( लोगोत्तम पदे ) लोकोत्तम पद में ( सरण पदे) शरण पद में ( सामाइय-पदे ) सामायिक पद में ( चउवीस-तित्थयर पदे) चौबीस तीर्थकर पद में ( बंदण वदे ) वन्दन पद में, ( पडिक्कमण पदे) प्रतिक्रमण पद में ( पच्चक्खाण पदे ) प्रत्याख्यान पद में, ( काउस्सग्ग पदे ) कायोत्सर्ग पद में, ( असीहिय पदे ) असही पद में ( निसोहिय-पदे ) निषेधिका पद में ( अंगंगेसु )११ अंगों में, ( पुव्वंगेसु ) पूर्वो में, ( पइण्णएसु ) प्रकीर्णकों में, ( पाहुडेसु ) प्राभृतों में, ( पाहुड-पाहुडेसु ) प्राभृत-प्राभृतों में, ( कदकम्मेसु वा ) कृतिकर्मों में, या ( भूद कम्मेसु वा ) भूत कर्मों में या ( णाणस्सअइक्कमणदाए ) ज्ञान की अवहेलना में, या ( दंसणस्स-अइक्कमणदाए ) दर्शन की अवहेलना में ( चरित्तस्स-अइक्कमणदाए ) चारित्र की अवहेलना में ( वीरियस्स-अइक्कमणदाए ) वीर्य की अवहेलना में ( से अक्खरहीणं वा ) उनमें अक्षर की हीनता या ( सरहीणं वा ) स्वर की हीनता या ( विजण होणं वा ) व्यंजन की हीनता या ( पद हीणं वा ) पद की हीनता या ( अत्थ हीणं वा ) अर्थहीन या ( गंथ हीणं वा ) ग्रन्थ की हानि (थएसु वा ) स्तव में या ( धुइसु ) स्तुति में या ( अट्टक्खाणेसु वा)