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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका ( पदोसेण वा, पमादेण वा पेम्मेण वा ) प्रकृष्ट द्वेष से या प्रमाद से या प्रेम से या ( पिवासेण वा लज्जेण वा) विषयों की गृद्धि से या लज्जा से या ( गारवेण वा ) गारव से या ( अणादरेण वा ) अनादर से या ( केण वि कारणेण जादए वा ) इनमें से किसी भी कारण के होने पर या ( आलसदाए ) आलस्य से ( बालिसदाए ) कर्म प्रदेशों की बहुलता ( कम्म भारिंग दाए) कर्मों की शक्ति की बहुलता के भार से ( कम्म गुरु गदाए ) कर्मों के गुरुत्तर भार से ( कम्म-दुच्चरिदाए ) कर्मों की दुश्चरित्रता से ( कम्म पुरुक्कडदाए ) कर्मों की अत्यंत तीव्रता से (तिगारव-गुरु-गदाए ) तीन गारव के भार से ( अबहु सुददाए ) श्रुत की अल्पता से ( अविदिद-घरमट्ठदाए ) परमार्थज्ञान न होने से ( सं सध्यं उच्च, बुधवरिय पोस्लानि इन सब पूर्व में कहे कारणों से मेरे द्वारा जो भी दश्चरित्र हुआ उस सबका मैं त्याग करता हूँ। ( आगमेसिं च अपच्चक्खियं पच्चक्खामि ) और आगामी काल के लिये जिन दोषों का अभी तक त्याग नहीं किया उनका मैं त्याग करता हूँ ( अणालोचियं-आलोचेमि ) जिनकी अभी तक आलोचना नहीं की उनकी आलोचना करता हूँ ( अगरहियं-गरहामि ) जिनकी अभीतक गर्दा नहीं की उनका गुरुसाक्षीपूर्वक गर्दा करता हूँ ( अपडिक्कंत-पडिक्कमामि ) जिन दोषों का प्रतिक्रमण नहीं किया, प्रतिक्रमण करता हूँ, ( विराहणं वोस्सरामि, आराहणं अन्मुडेमि ) विराधना का त्याग करता हूँ, आराधना को स्वीकार करता हूँ ( अण्णाणं-वोस्सरामि, सपणाणं अब्भटेमि) अज्ञान का त्याग करता हूँ, सम्यग्ज्ञान को स्वीकार करता हूँ ( कुदसण वोस्सरामि सम्मदंसण अब्भुट्टेमि ) कुदर्शन का त्याग करता हूँ, सम्यग्दर्शन को स्वीकार करता हूँ, ( कुचरियं वोस्सरामि-सुचरियं अब्भुट्टेमि ) कुचारित्र का त्याग करता हूँ, सुचारित्र को ग्रहण करता हूँ, ( कुतवं वोस्सरामि, सुतवं अन्भुट्टेमि ) कुतप को छोड़ता हूँ सुतप को ग्रहण करता हूँ ( अकरणिज्ज वोस्सरामि करणिज्ज अब्भुट्ठमि ) अकरणीय/ न करने योग्य का त्याग करता हूँ, करणीय/करने योग्य स्वीकार करता हूँ ( अकिरियं-वोस्सरामि, किरियं अब्भुट्टेमि ) कुकृत्य जो करने योग्य नहीं हैं उनको छोड़ता हूँ, करने योग्य सत्कृत्यों को मैं करता हूँ 1 ( पाणादिवादं वोस्सरामि अभयदाणं अब्भुट्टेमि ) प्राणातिपात का त्याग करता हूँ अभयदान को स्वीकार करता हूँ ( मोसं वोस्सरामि-सच्चं अन्भुट्ठमि ) मृषा/झूठ का त्याग करता हूँ, सत्य को