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विमल झान प्रबोधिनी टीका उस प्रथम महाव्रत संबंधी ( अइचारं पडिक्कमामि ) अतिचार का मैं प्रतिक्रमण करता हूँ। ( अप्पाणं जिंदामि गरहामि ) अपनी निन्दा, गर्दा करता हूँ। ( भंते ! ) हे भगवन् ! ( पुबिचणं ) भूतकाल में उपार्जित अतिचारों का ( वोस्सरामि ) त्याग करता हूँ। ( मए जं पि ) मेरे द्वारा जो ( रागस्स वा दोसस्स वा मोहस्स वा ) राग-द्वेष या मोह के ( वसंगदेण) वशीभूत हो ( सयं पाये ) स्वयं प्राणों का { अटिवादिदे ) अतिपात किया हो ( अण्णेहि पाणे अदिवादिज्जंतो वि ण समणमण्णिदे) दूसरों से प्राणों का घात कराया हो और प्राणों का अतिपात करने वालों की अनुमोदना की हो ( तं वि) उसका भी मैं त्याग करता हूँ।
(इमस्स णिग्गंथस्स ) यह निग्रंथों का रूप है ( पवयणस्स ) पावन है ( अणुत्तरस्स ) अनुत्तर है ( केवलियस्स ) केवली का है। केवलि पण्णत्तस्स धम्मस्स-अहिंसा लक्खणस्स ) यह केवलिप्रणीत अहिंसाधर्म लक्षण का धारक है ( सच्चाहिट्ठियस्स ) सत्य से अधिष्ठित है ( विणय-मूलस्स) विनय का मूल है (खमा बलस्स) क्षमा का बल है ( अट्ठारस-सीलसहस्स-परिमंडियस्स ) अठारह हजार शीलों से परिमंडित है ( चउरासीदिगुण-सय सहस्स विहूसियस्स ) चौरासी लाख उत्तर गुणों से विभूषित है ( णवसु बंभचेर गुत्तस्स ) नौ प्रकार ब्रह्मचर्य से गुप्त है ( णियदि लक्खणस्स ) विषयों की निवृत्ति से लक्षित है ( परिचाग-फलस्स ) बाह्य-आभ्यन्तर त्याग का फल है ( उवसमपहाणस्स) उपशम की प्रधानता सहित है (खंतिमग्गदेसयस्स ) क्षमा-मार्ग का उपदेशक है ( मुत्तिमग्गपयासयस्स ) मुक्ति-मार्ग का प्रकाशक है ( सिद्धमग्गपज्जवसाहणस्स ) सिद्धि मार्ग साधन का परम प्रकर्ष है। इस परम पावन धर्म का
(से कोहण वा. माणेण वा, मायाए वा, लोहेण वा) क्रोध से या मान से या माया से या लोभ से या ( अण्णाणेण वा अदसणेण वा ) अज्ञान से या अदर्शन से या ( अवीरिएण वा ) शक्ति के अभाव से या ( असंयमेण वा ) असंयम से या ( असमणेण वा ) असाधुत्वपना से या ( अणहि-गमणेण वा ) अनधिगम से या ( अभिमंसिदाए वा )? ( अबोहिदाए वा ) अबोध से या ( रागेण वा दोसेण वा मोहेण वा ) राग से या द्वेष से या मोह से ( हस्सेण वा भएण वा ) हास्य से या भय से या