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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका विकथा संबंधी दोषों की आलोचना
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पडिक्कमामि भंते! इतिय कहाए, अत्य कहाए, भत्त कहाए, राय कहाए, चोर-कहाए, वेर कहाए, पर पाखंड कहाए, देस
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- कहाए, भासविकहाए, अ कहाए, कहाए, निठुल्ल कहाए, घर पेसुण्ण कहाए, कन्द- पियाए, कुक्कुच्चियाए, डंबरियाए, मोक्खरिथाए, अप्प - पसंणदाए, पर परिवादणाए, पर दुगंछणदाए, पर- पीडा कराए, सावज्जामोयणियाए, इत्थ मे जो कोई राइओ ( देवसिओ) अइचारो अण्णाचारो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।
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अन्वयार्थ – (भंते! ) हे भगवन् ! ( इत्थिकहाए ) स्त्री कथा में ( अत्थ कहाए ) अर्थ कथा में, ( भत्थ कहाए ) भोजन कथा में ( रायकहाए ) राज कथा में ( चोर कहाए ) चोर कथा में, ( बैर कहाए ) शत्रु कथा में (परपासंडकहाए ) दूसरे पाखंडियों की कथा में ( देसकहाए ) देश कथा में ( भास कहाए ) भाषा सम्बन्धी कथा में ( अकहाए ) असंबद्ध प्रलाप में (विकहाए ) विकथा में ( णिडुल्लकहाए ) निष्ठुर कथा में (परपेसुण्णकहाए ) पर पैशुन्य कथा में ( कंदप्पियाए ) कंदर्पिका कथा के कथन में ( कुक्कुचियाए ) कौत्कुच्य में ( डंबरियाए ) डंबरिका में, ( मोक्खरियाए ) मौखरिकी कथा में ( अप्पपसंसणदाए) आत्म प्रशंसा में ( परपरिवादणाए ) पर-परिवादन में (परदुगंछणदाए) पर जुगुप्सनता में ( परपीडाकराए ) पर पीड़ा कारक कथा में ( सावज्जाणुमोयणियाए ) सावद्यानुमोदिका कथा में (इत्थ ) इस प्रकार ( मे ) मेरे द्वारा ( जो कोई ) जो भी कोई ( राइओदेवसिओ) रात्रिक या दिवस संबंधी ( अइचारो ) अतिचार ( अणायारो ) अनाचार हुआ ( तस्स ) तत्संबंधी ( मे ) मेरा ( दुक्कड़ ) दुष्कृत (मिच्छा ) मिथ्या हो ( पडिक्कमामि ) मैं प्रतिक्रमण करता हूँ ।
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भावार्थ- हे भगवन्! स्त्री कथा अर्थात् स्त्रियों के वदन, नयन, नाभि, नितंब आदि के वर्णन रूप कथा में अर्थकथा- धन के उपार्जन, रक्षण आदि वचन रूप अर्थ कथा के करने में राजा संबंधी कथा के करने में, चोर कथा में, वैर विरोध की कथा में, पर पाखंडियों की कथा अर्थात् परिव्राजक, बंधक, त्रिदंडी आदि की कथा करने में गुर्जर, मालत्र, कर्णाट, लाट आदि देश तथा ग्राम नगरादि की कथा मे १८ देशों में बोली
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