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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
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११. मग्गे — मार्गाधिकार — मोक्ष और स्वर्ग के स्वरूप तथा कारण का वर्णन करता है ।
१२. समोवसरणं - समवसरणाधिकार — २४ तीर्थंकरों के समवशरण का वर्णन करता है ।
१३. तिकालगंथहिदे - त्रिकालमंथ का अधिकार --- त्रिकालगोचर अशेष परिग्रह के अशुभ का वर्णन करता है ।
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१४. आदा--- आत्माधिकार - जीव के स्वरूप का वर्णन करता है १५. तदित्यगाथा - तदित्यगाथाधिकार --- तदित्थगाथाधिकारवाद के मार्ग का प्ररूपण करता है ।
१६. पुंडरिका - पुंडरीक अधिकार – स्त्रियों के स्वर्गादि स्थानों में स्वरूप का वर्णन करता है ।
१७. किरियठाणेय - क्रियास्थानाधिकार - तेरह प्रकार की क्रिया स्थानों का वर्णन करता है ।
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१८. आहारय परिणामे आहारक परिणाम अधिकार – सर्वधान्यों के रस और वीर्य के विपाक को तथा शरीर में व्याप्त सात साधुओं के
स्वरूप का वर्णन करता है।
१९. पच्चक्खाण - प्रत्याख्यानअधिकार - सर्वद्रव्य के विषय से संबंध रखने वाली वृत्तियों का वर्णन करता है।
२०. अणगार गुणकित्ति - अनगार गुण कीर्तन अधिकार — मुनियों के गुणों का वर्णन करता है ।
२१. सुदअत्या- श्रुताधिकार - श्रुत के फल का वर्णन करता है। २२. णानंदे – नालंदाधिकार – ज्योतिषीदेवों के पटल का वर्णन करता है ।
२३ प्रकार के सूत्र अध्ययन
सूत्रकृत अध्ययन से २३ संख्या वाले हैं । द्वितीय अंग में श्रुतवर्णन के अधिकार के अन्वर्थ संज्ञा वाले हैं । इनके अकाल अध्ययनादि के विषय में, मैं प्रतिकमण करता हूँ ।