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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
प्रकार भूत आमों में ( पणरस - विहेसु पमाय ठाणेसु ) पन्द्रह प्रकार प्रमाद स्थानों में ( सोलह-विहेसु पवयणेसु) सोलह प्रकार प्रवचनों में ( सत्तारसविहेसु असंजमेसु) सत्रह प्रकार असंयमों में, (अट्ठारस विहेसु असंपरासु ) अठारह प्रकार के असम्परायों में ( उणवीसाय गाहज्झाणेसु ) उन्नीस प्रकार के नाथाध्ययनों में (वीसाए असमाहि- द्वाणेसु ) बीस प्रकार के असमाधि के स्थानों में, ( एक्कवीसाए सवलेसु ) इक्कीस प्रकार की सवल क्रियाओं में ( बावीसाए परीषहेसु) बावीस प्रकार के परीषहों में (तवीसाथ सुद्दयडज्झाणे ) तेवीस प्रकार के सूत्राध्ययन में ( चउवीसाए अरहंतेसु) चौबीस प्रकार के अरहंतों में ( पणवीसाए भावणासु ) पच्चीस प्रकार की भावनाओं
पणवीस ) पच्चीस एकस के लिया स्थानों में, (छव्वीसाए पुढवीसु ) छब्बीस प्रकार पृथ्वियों में ( सत्तावीसाए अणगार गुणेसु ) सत्ताईस प्रकार के अनगार गुणों में ( अट्ठावीसाए आयार कप्पेसु ) अट्ठाईस प्रकार आचार कल्पों में, ( एउणतीसाए पाव सुत्त पसंगेसु ) उनतीस प्रकार के पापसूत्र प्रसंगों में (तीसाए मोहणी ठाणेसु ) तीस प्रकार के मोहनीय के स्थानों में ( एकतीसाए कम्मविवासु) इकतीस प्रकार के कर्म विपाकों में (बत्तीसाए जिणोवएसेसु) बत्तीस प्रकार के जिनोपदेश में ( तेतीसाए अच्चासणदाए ) तैतीस प्रकार की अत्यासादना में ( संखेवेण जीवाणअच्चासणदाए ) संख्यात प्रकार जीवों की अत्यासादना में ( अजीवाणं अच्चा सणदाए) अजीवों की अत्यासादना में ( णाणस्स अच्चासणदाए ) ज्ञान की अत्यासादना में ( दंसणस्स अच्चासणदाए ) दर्शन की अत्यासादना में ( चरितस्स अच्चासणदाए ) चारित्र की अत्यासादना में ( तवस्स अच्चासणदाए) तप की अत्यासादना में ( वीरियस्स अच्चासदणाए ) वीर्य की अत्यासादना में (तं ) उस ( सव्वं ) सब ( पुत्त्रं दुच्चरियं ) पूर्व में आचरित दुश्चरित की ( गरहामि) गर्हा करता हूँ ( आगामेसीएसु पच्चुप्पण्णं इक्कंतं पडिक्कमामि ) भूत, भविष्य, वर्तमान के दोषों का प्रतिक्रमण करता हूँ ( अणागयं पच्चक्खामि ) भविष्य काल में पापों का त्याग करता हूँ. ( अगरहियं गरहामि ) मैं अगर्हित की गर्हा करता हूँ ( अणिदियं णिंदामि ) अनिंदित की मैं निन्दा करता हूँ ( अणालोचियं आलोचेमि ) अनालोचित की आलोचना करता हूँ ( आराहणं - अब्भुट्ठेमि ) आराधना को स्वीकार करता हूँ (विराहणं पडिक्कमामि ) विराधना का प्रतिक्रमण करता हूँ ।