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प्रेमी अभिनंदन ग्रंथ
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जागरूकता के सकल्प और दो छोटे पोतों ने उन्हें जीवित रक्खा है और मानसिक दृढता से वे अस्वस्थता पर विजय
पाये हुए हैं।
हमारी कामना है कि प्रेमीजी अभी बहुत दिनो तक अपने परिपक्व अनुभव तथा ज्ञान के द्वारा हमारा मार्गप्रदर्शन करते रहें ।
बम्बई]
हार्दिक कामना
श्री माना वरेरकर
वगीय और गुर्जर भाषा में से चुनिन्दा साहित्य हिन्दी भाषियों को सुलभ कर देने के कार्य में जिन्होंने अपना सर्वस्व दे दिया तथा जिन्होने प्रत्यत सुवीध हिन्दी भाषा में चुने हुए साहित्य-प्रय श्रनुवादित कराकर सर्वसाधारण पाठक को सन्ते मूल्य में प्राप्य करा दिये और इस प्रकार स्वायंत्यागपूर्ण पुस्तक प्रकाशन-व्यवसाय चलाया, युद्ध से उत्पन्न भयानक परिस्थिति में भी जिन्होने मराठी या अन्य प्रकाशको की भाति अपनी पुस्तको की कीमते बहुत अधिक नहीं वढाई और अपने ग्राहकों को ऐसी दशा में भी सतुष्ट रखने का प्रयत्न किया, और इस प्रकार हिंदी भाषा का वैभव तथा हिंदी भाषियों के साहित्यप्रेम को जिन्होने उपयुक्त रीति से बढाया - ऐसे श्री नाथूराम 'प्रेमी' को दीर्घायुरारोग्य प्राप्त हो, ऐसी हृदय से कामना करता हू । मेरे मित्र स्व० शरच्चंद्र चट्टोपाध्याय का साहित्य हिंदी में अनूदित कर उन्होंने बगला तथा हिंदी दोनो भाषाओं पर जो उपकार किया है, वह वाड्मय के इतिहास की दृष्टि से अमूल्य है । उसी भाति भाषा का अधिकृत वाङ्मय हिंदी भाषियो को सुपरिचित करा देने की ओर भी आगामी काल में उनका ध्यान प्राकृष्ट हो, ऐसी में श्राशा प्रदर्शित करता हू |