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व्याख्यान-चौथा
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वाला था। एसा विचार करते करते भीमा शेठ घरकी - ओर चले । इधर उसके घर उसकी पत्नी के स्वभाव में एकाएक परिवर्तन आया। पत्नी घर पर बैठी बैठी विचार करती है कि पतिदेव तीर्थोद्धार में कुछ दान देके आने तो ठीक हो। ... पतिके घर आनेका समय जानकर शेठानी भीमापति
को राह देखती हुई घरके ओटला पर खड़ी हो गई। मुख .. मलकाती है, दूरसे आते हुए भीमा शेठ विचार करते हैं
कि आज तो कुछ परिवर्तन लगता है। जरूर ही शासन देवने सद्बुद्धिसे प्रेरित किया है। भीमा शेठने घर आकर के पत्नीको सव बात कह दी। पत्नी भी प्रसन्न हो गई। फिर भीमा शेठकी शेठानी शेठ भीमाजी ले कहती है कि हे स्वामीनाथ, आज भैसको वांधनेका खीला (खूटा) निकल. गया है, इस लिये फिरसे खीला ठोको। ज्योंही भीमा शेठने खीला ठोकने के लिये खाडा गड्डा) खोदा कि उनने सोनेका चरू देखा । पति-पत्नी आनन्दमग्न हो गये। ' पत्नी पतिको कहती है कि हे प्राणेश, धर्मप्रताप से मिले हुये इस धनको तीर्थीद्धार के काममें देकर आवों। भीमा शेठने भी जल्दीसे जाकरके मन्त्रीसे ये धन स्वीकार करने
की प्रार्थना की। तव मन्त्रीश्वर कहने लगे कि हे महानुभाव, - यह धन तो तुम्हारे भाग्यसे मिला है, इसलिये हम इस ... धनको नहीं ले सकते हैं। अन्तमें उसकी योग्य व्यवस्था
होती है। कहने का मतलब यह है कि धर्ममार्गमें लक्ष्मी ... का उपयोग करने से वह कभी घटती नहीं है किन्तु चढती ही रहती है। . .
जवतक समकित नहीं आता है तब तक पूर्व पढने पर भी यह जीव अज्ञानी रहता है ।...अमवी जीव बहुत