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- व्याख्यान-वाईसवाँ .
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जाते हैं। फिर भी वहां गरीव रहते हैं और तवंगर (धनी) भी रहते हैं। सुख कहीं बाजार में वेचाता नहीं मिलता।
. दुनिया में स्वार्थ की मायाजाल बहुत ही विचित्र है । उसके ऊपर एक वोधप्रद कथानक आता है :-... . एक वूड़े वापको एक का एक ही पुत्र था। - इस लड़के पर वाप को उसकी मां को और उसकी . स्त्री को बहुत प्रेम था । इस छोकरे का थोड़ी देर के लिये भी वियोग कोई सहन नहीं कर सकता था।
एक वार एसा बनाकि यह लडका किसी महात्मा के परिचय में आ गया । इस महात्मा के परिचय के योग से इस लड़के के हृदय में मानव जीवन के सादा आदर्श को सिद्ध करने वाले एसे उच्च जीवन को जीनेकी इच्छा पैदा हुई । इस लड़के ने अपनी ये इच्छा महात्माजी को कही । और कहा कि मैं मेरे माता पिता आदि की संमति लेलेता हूं।
. महात्माने कहा कि जैसी तेरी मरझी । विवेक को
छोड़ना नहीं । और जो बने वह मुझसे कह देना। - लड़का घर आया। उसके हृदय में जो आदर्श की
उस लड़के ने अपने माता पिता आदि से वात कि । . इसके साथ उसने यह भी कहा कि अव मेरा मन संसार में नहीं लगता। .... ..... इस लड़के ने पूरी वात करी न करी वहां तो उसके माता पिता ने आक्रन्द करना शुरू किया। बेटा ! वेटा! तुजे एसा विचार कहां से आया ।.