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प्रवचनसार कर्णिका
राजा भी जानता था कि राजकुमार विलकुल लबाड है। इसलिये उसके पाप उसे नड़े । भले इसका शव रास्ते में ही रखड़े।
सेठने कहा महाराज ! राजकुमार भले लवाड़ था किन्तु प्रजा के मन तो राजा का कुँवर था । इसलिये एसा वेपरवाह होने से तो तुम्हारा खराब दिखायेगा।
राजा ने कहाकि तो इसका क्या रास्ता करना ?
सेठने कहा एसा करो । महल के पीछे घोडा हार है। उसके कठेड़ा के ऊपर से राजकुमार को घोड़ाहार के पतरा (टीन) ऊपर गिराओ। पतरा की आवाज से चौकीदार वहां दौडते आवेंगे।
राजकुमार को देखेंगे तो तुरन्त ही तुम्हें बुलाने आयेंगे।
इसले गांव से कहला दिया जायगा कि नींद में से उठ के कठेडा पर पेशाव करने गये थे वहां नींद में मान नहीं रहने से लुडक नए और घोड़ाहार में गिरने से मृत्यु को प्राप्त हुए ।
एला करने से ना तो तुम्हारी बदनामी होगी और ना किसी को खवर होगी ।
राजा को यह बात ठीक लगी। चौवटिया सेठके कहे अनुसार राजकुमार के शव को कठेडा पर से घोड़ा हार के पतरा पर फेकने में आया चौकीदार इकडे हो गये । राजांको बुलाया। एसा करते करते सवेरा होगया गांव में सब जगह राजकुमार की मृत्यु की वात फैल गई ।
शराब के नशे में गये होंगे एसा सवने मान लिया।