________________
व्याख्यान-तेईसवाँ
२९५ किसी तरह से बचा जा सके एसा करने के लिये विनंती
करने लगे। - चौवटिया सेठने कहा तुम्हें जो वचना ही है तो
एक रास्ता है। एक लाख सोनमुहर लाके मुझे दो तो
यह गुन्हा मैं मेरे सिरपर ले लेता हूं। ... उन दोनोंने लांच रिश्वत खूब खाई थी। वह सव
कमाई सेठने उकाली। . गरजवान उन विचारों ने खड़े खड़े एक लाख सोना मोहरें लाके शेठको सुप्रत कीं। . . .. सेठने कहा अब तुम जराभी नहीं घबराना। आराम से जाके सो जाओ । अव मुझे जो करना होगा सो कर लूंगा ।
जमादार और सिपाही तो बड़ी मुश्किल से बचे जानके हर्पित बने । ... इस तरफ सेठ मुडदाको लेके पीछे घर आये। सेठानी से कहा लो ये एक लाख सोना मोहरें। और पिटारे में रक्खो !
- अब विलकुल सुवह होने को आया था। इसलिये आपको थींगड़ा मारना है यानी आकाश को :चीथरा मारना है । मैं अभी हाल थींगडा मारके आता हूं। .
. एसा कहके राजकुमार के मुद्दे को लेके सेठ सीधे राजभवन के पास आये । बाहर रास्ता पर मुड़दा रखके राजा के पास जाके कहने लगे कि राजकुमारने खूब . शराब पीने से नशा में चकचूर वनके वह रास्ते में ही लथडिया खाके नीचे गिर जाने से मृत्युः को प्राप्त हुए हैं।