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प्रवचनसार कर्णिका ___ इस इच्छा को नियाj नहीं कह सकते। क्योंकि उसमें कोई सुख-सामन्त्री नहीं मांगी। अरे ! मोक्षकी भी मांग नहीं है।
प्रभुके चरणों की लेवा रूप भक्ति की मांग है। उसमें लमर्पण भाव है और यह भाव प्रशंसनीय गिना जाता है।
"जय वीवराय" यह प्रार्थनासूत्र है। जिसके अन्दर. याचना अंतरकी अमिलापा प्रदर्शित की जाय उलका नाम. प्रार्थना सूत्र।
क्या क्या अभिलाषायें जिनेश्वर परमात्मा के पास प्रगट की जा सकती हैं, यह समझना हो तो जयवीपरायः सूत्रके अर्थ गुरुगम से समझ लेना । इस सूत्रमें इतनी भव्य भावना भरी है कि जो समझने में आवे तो जीवन का कल्याण हुए विना नहीं रहे।
उपयोग ले चलो तो जीवहिला ले बचा जा सकता है। शरीर को भी सुख हो सकता है और उपयोग का भी लाभ मिले
"नीची लजरे चालतां, त्रण गुण मोटा थाय । कांटो टले दया पले, पग पण नहिं खरडाय ॥ . हालमें लोकशाही राज्य है। इस राज्य में कितनी हिंसा चालू है ? आजके कुर्सीधारी (लत्ताधीश) इतनी हिंसा करावे, हिंसामें प्रोत्साहन दें एसा होता हो वहांकी प्रजानें किस तरह सुसंस्कार आ सकते हैं ? - पुत्री दो लेकिन पैसा लेके दो उसका नाम लोहीका व्यापार ! इसमें दलाली करनेवाले भी इसी कोटिके होते