Book Title: Pravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Author(s): Bhuvansuri
Publisher: Vijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad

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Page 465
________________ व्याख्यान-बत्तीसवाँ . ४१५ पधारने की बात सुनकर खूब खुश हुआ । और बड़े ठाठपूर्वक मुनि पुंगवसहित आचार्य महाराजाओं का प्रवेश महोत्सव किया। .. अपने दोनों पुत्र दीक्षित बन गये उनमें से एक तो .. "धुरंधर आचार्य चना है ये हकीकत जानकरके माताका हृदय तो आनन्द की उमि में नाचने लगा । पुत्रों को सच्चे मोतियों से बधाई दे के माता ने कृत्यकृत्यता अनुभव को। . . ... घर में पक समकिती माता के प्रताप ले दोनों पुत्र दीक्षित बने । अब तो पूरे परिवार को दीक्षित होनेकी भावना जागी। ... आर्थरक्षित सूरिजी की देशनाशक्ति प्रवल होने से गुरू महाराजने देशना का काम उनको सौंप दिया । . नित्य प्रवचन श्रवण करने के लिये. हजारों लोग आने लगे। . माता पिता और वहन भी आने लगे। एक महीना की देशनाने तो नगर में जादूकर दिया । श्रनेक भव्यात्मा दीक्षा लेने को तैयार हो गए। . आर्थरक्षित सूरिजी की माता और वहन भी वैराग्य ... वासित वनके दीक्षा लेने तैयार हो गये । पिताजी विचार .. करने लगेकि परिवार के सभी लभ्य दीक्षालें तो फिर में भी अकेला वाकी क्यों रहूं ? लेकिन गुरू महाराजके पास अमुक शरत करके लूं। एला विचारके गुरूमहाराज के पास अपनी पांच शरतों का निवेदन किया :. . (१) मुझसे खुले पैर नहीं चला जाता इसलिए पावडी पहनुंगा । . . . . . . . . . .

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