Book Title: Pravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Author(s): Bhuvansuri
Publisher: Vijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 474
________________ ४२४ प्रवचनसार कणिका: .. - - बाँधना (२६) दाँत का मैल डालना (२७) आँख का मैल डालना (२०) नख का मैल डालना (२९) गाल का मैल.. डालना (३०) नाक का मैल डालना (३१) सिर का मैल । डालना (३२) कान का मैल डालना (३३) चमड़ी का मैल डालना (३४) मन्त्रादि प्रोग्राम करना (३५) विवाह के लिए इक होना (३६) कागज लिखना (३७) थापण रखना (३८): भाग पाडना (३९) पैरके ऊपर पैर रखके बैठना (४०) छाणां : (उपले) थापना (४१) कपड़ा सुकाना (४२) धान्य सुकाना: (४३) पापड सुकाना (४४) बडी करना (४५) छिप जाना (४६) रोना (४७) विकथा करना (४८) शस्त्रास्त्र धड़ना (४९) तिर्यंच रखना (५०) तापणी करना (५१) रसोई करना (५२) सोनरिक की परीक्षा करना (५३) निसीही नहींकहना (५४) छत्र धारण करना (५५) शस्त्र रखना (५६) चाँवर ढोरना (५७) मन एकाग्र नहीं करना (५८) मर्दन करना (५९) सचित्त का त्याग नहीं करना (६०) अखंड उत्तराः सन नहीं करना (६९) अचित्त वस्त्राभरण) का त्याग करना .. (६२) वालक खिलाना (६३) मुगुट रखना (६४) तोरा रखना (६५) पघड़ी का अविवेक करना (६६) होड करना (६७) गिल्लीडंडा ले खेलना (६८) जुहार करना (६९) भांड चेष्टा करना (७०) तिरस्कार करना (७१) लांघवा वैठना (७२) संग्राम करना (७३) केश का विस्तार करना (७४) पैरं चाँध के बैंठना (७५) चाखडी पहनना (७६) पैर लंबे करना (७७) पिपुडी बजाना (७८) काच कीचड़ डालना (७९) अंग की धूल उड़ाना (८०) गुह्य भाग प्रगट करना (८१) व्यापार करना (८२) वैद्गारी करना (८३) नहाना (८४) नख उतारना। .. : .. .ये चौरासी अशातनायें जिनमन्दिर में वर्जना चाहिए । . रना

Loading...

Page Navigation
1 ... 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499