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पालन
जीवनदर्शक-गीत .... प्रवचन शैली इतनी मधुर थी.
. सभी जनों को भाई है ॥ महावीर प्रभु के षड दर्शन .. . : जन मन में सुनाते गये ॥
पूज्य गुरूदेव । ॥ अहमदाबाद की पुन्य भूमि में
गुरुवर फिर से आये हैं संवत उन्नीस सौ निनानव .
. फागन का वो महीना था ॥ शुक्ल पक्षकी इस तृतीया को
उपाध्याय पद पाया था। . गुरूदेव के चरनामृत से
पावनवो पृथ्वी . हुई ॥
पूज्य गुरूदेव ॥५॥ यात्रा संघ निकलवाये.
और सिद्ध चक्र पूजन करवाई शान्ति स्नात्र और अष्टोतरिके
. अट्ठाई उत्सव मनवाये ॥ जगह जगह उपधान कराये
ठाठ खूब मनवाये । अंजन शलाका और प्रतिष्ठा . . उत्सव खूब बनाये थे ॥
पूज्य गुरूदेव ॥६॥ नए नए मन्दिर वनवाये वनवाई पोषध शालायें
ज्ञान मन्दिर वनवाये थे ।। नमिउन पूजन और पार्श्वपूजनसे
संघ में ठाठ जमाये थे ॥ पाठशालायें वनवाई हैं। ... देश के कोने कोने ॥
पूज्य गुरुदेव ॥७॥
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