Book Title: Pravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Author(s): Bhuvansuri
Publisher: Vijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad

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Page 487
________________ to USA T: प्रवचनसार कर्णिका के बोधक सुवाक्य : व्याख्याता : परम पूज्य आचार्यदेव " श्रीमद् विजय भुवनसूरीश्वरजी महाराज साहब के . व्याख्यानों में से .: संचयकार : पू० मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी महाराज। : (१) दान देने से मनुष्य इस लोक और परलोक में सुख को प्राप्त करके अन्त में शिवश्री को वरता है। . (२) दान यह आत्माको मोक्ष गतिमें पहुंचा के अनंत सुख का स्वामी बनाता है। (३) दान देने से लक्ष्मी सफल बनती है और भावी उज्वल . वनता है। (४) जिस मनुष्य में दाता पाना है वह मनुष्य इललोक ___और परलोक में सुख संपत्ति प्राप्त करके अन्त में . मोक्ष संपत्ति प्राप्त करता है। (५) जल से जैसे देह निर्मल वनता है शील से भावी निर्मल वनता है। (६) शियल (शोल) मानवी का परम आभूषण है। जैसे सुवर्ण अलंकार देह को शोभाते हैं इसी प्रकार शील . जीवन को शोभाता है।

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