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ढाल तीसरी
तज (तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नजर न लगे चमवधू । ).
गीत
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विचरे फिर नगरी नगरी में
उन्नीस सौ
वैसाख सुदी
कोंकन देश की
पंचावन में
प्रेम सूरिजी की
प्रवचन को सुनाते हुए |
पंचमी को
गनीपद गुरूवर ने पाया
उसी साल और उसी महीने में
उत्सव खोपोली में हुआ || नगरी में
वो ठाठ अजय का छाया था । निश्रा में,
गजब वो उत्सव वना । पूज्य गुरूदेव | ॥२॥ः
प्रवचनसार कर्णिका:
पंडित की पदवी देने को
पूना नगर में गुरू आया
ध्वजा पताका पग पग बांधी
पूज्य गुरूदेव | ॥२॥
फिर से समूह बुलाया था ॥
कपड़े चादर और कम्बल की
मंडप खूब सजाया था ।
भारत के कौने कौने में
वर्षा वो गजव की हुई ।
. महाराष्ट्र गुजरात विचर के
पूज्य गुरूदेव | ॥३॥
प्रवचन वानी बहाते हैं
मरूधर में गुरूवर आये ॥