SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 482
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ટર ढाल तीसरी तज (तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नजर न लगे चमवधू । ). गीत 8 विचरे फिर नगरी नगरी में उन्नीस सौ वैसाख सुदी कोंकन देश की पंचावन में प्रेम सूरिजी की प्रवचन को सुनाते हुए | पंचमी को गनीपद गुरूवर ने पाया उसी साल और उसी महीने में उत्सव खोपोली में हुआ || नगरी में वो ठाठ अजय का छाया था । निश्रा में, गजब वो उत्सव वना । पूज्य गुरूदेव | ॥२॥ः प्रवचनसार कर्णिका: पंडित की पदवी देने को पूना नगर में गुरू आया ध्वजा पताका पग पग बांधी पूज्य गुरूदेव | ॥२॥ फिर से समूह बुलाया था ॥ कपड़े चादर और कम्बल की मंडप खूब सजाया था । भारत के कौने कौने में वर्षा वो गजव की हुई । . महाराष्ट्र गुजरात विचर के पूज्य गुरूदेव | ॥३॥ प्रवचन वानी बहाते हैं मरूधर में गुरूवर आये ॥
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy