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व्याख्यान-इकतीसवां
- चरम तीर्थ पति आसन्न उपकारी श्रमण भगवान महावीरदेव ने अपने ऊपर अमाप उपकार किया। उस उपकारका स्मरण करने जैसा है।
. छट्टी और सातवीं नरक में पांच करोड़ सडसठ लाख निन्यानवे हजार पांचसौ चौराली रोग हैं। वहां कितनी वेदना होगी? ये सव वेदनायें क्यों भोगनी पड़ती होंगी? आरंभ समारंभ खूब करने से। अति आरंभ और समारंभ नरक का कारण है।
भवदत्त मुनि दीक्षित बनके घर भिक्षा के लिये आये । उनका छोटा भाई भवदेव घरमें था । गई काल ही लग्न करके नागीला नाम की रूपवती कन्या को एरण" के लाया था । उसका श्रृंगार कर रहा था। उसके साथ प्रेम मस्ती में पागल बना था। वहां भाई सुनि का मीठाः शब्द कर्णपुट पर सुनाई दिया।:
"धर्मलाभ" । भवदेव नीचे आया। सुनिको शिक्षा वहोराई। इसके बाद भवदेव मुनिके साथ चलने लगा।
भाई मुनि के पास झोली में अधिक वजन होने से भवदेव भवदत्त मुनिके पास से थोड़ा वजन खुदं ही उचक लिया । और मुनि के साथ चलने लगा।
चलते चलते मन तो उसका नागीला में ही रम रह