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प्रवचनसार कर्णिका रस कस विना का आहार लेते होने से वे उपवाली कहलाते हैं।
सुनि के पास जाके पति ब्रह्मचारी होनेकी शंका का.. समाधाल ये मिला कि तेरा पति स्वदारा संतोषी होनेले देश से ब्रह्मचारी गिना जाता है। मुनि ने कहा कि मैंने दीक्षा ली तभी से मेरा भाई भाव से वैरागी है। तेरे संतोष के लिये संसार में रहा है।
यह सुनकर के रानी सन्तुष्ट वनी ।