________________
व्याख्यान-पच्चीसवाँ
३२३ ... कोई वहन अपनी सन्तान को स्तन पान कराती हो
तो गोचरी को गए साधु पीछे फिर जाते हैं। लेकिन गोचरी वहोरे नहीं । यह साधु की समाचारी है। कच्चे पानी से आंगन भीगा हो और हरी चीज बीच में पड़ी हो तो भी गोचरी को नहीं जाया जाता है। गोचरी लेते समय साधु की नजर नीची होती है। गोचरी सिवाय अन्य बातें वहां नहीं हो सकती। दूसरी वाते करने लगे तो गुरू की आज्ञा भंग का दोष लगे । . भूतकाल में एक साधु महाराज गोचरी के लिए गये थे। वहां इनकी नजर कामिनी के ऊपर पडी। कामिनी के नयन के साथ नयन मिलन ले काम विकार जागृत हुआ।
पहले आंखों में जहर फैला । फिर वाणी ले जहर 'फैला । इस तरह से मुनिके मन का पतन हुआ । महासंयम को वे भूल गए ।
अपाढ़ भूति नाम मुनिराज एक नट के दरवाजे भिक्षा के लिए जाकर खडे रहे । रूप सुन्दर एसी दो नट कन्याओं ने मुनि को भाव से मोदक वहोराया। मोदक की मोहक सुगन्ध से सुनि रसनेन्द्रिय की लालच में पड़ गए।
यह लाडू तो पहले गुरू को देना पडेगा इसलिए लाओ ने दूसरा ले आऊ । एसा विचार के वेशं पलटा करके दूसरा लाडू ले आये । यह दूसरा लाडू तो गुरूके 'वाद के साधुओं को देना पडेगा इसलिए तीसरा ले आऊ एसा विचार करके वेश पलटा करके तीसरा लाडू ले आये । इस तरह चौथी बार भी वेश बदलकर अषाढंभूति मुनि लाडू ले आये ।