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व्याख्यान-छब्बीसवाँ .......... ... - चक्रवर्ती राजा भी काममें अन्ध बनके मृत्यु को प्राप्त हों तो नरकमें जाते हैं।
वैक्रिय लब्धिवालों देवियां भी काममें अंध वनके मानव के साथ विषय भोगने के लिये तैयार होती हैं । . गंगादेवी धन्यकुमार को देखके परवश वनी । धन्यकुमार के पास दुष्ट मांगनी की। परन्तु कुलीन धन्यकुमार.. ने देवी को याचना नहीं स्वीकारी । और माता शब्द से. संवोध के प्रतिवोध दिया।
तुम सब कामवासना से अलिप्त रह के जीवन को.... धन्य वनाओ यही मनो कामना।
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