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व्याख्यान-सत्ताईसवाँ ..
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कौन देगा? गुरू महाराज ने कहा तुम्हे वांचना बज्र। देगा । साधू विचार में पड़ गये।
गुरू महाराज चले गए । दोपहर का समय हुआ ।" . गुवाज्ञा के अनुसार सभी साधू वांचना लेने वैठे । वज्रस्वामी ने इतनी सरलता से वांचना दी कि सवकों सरलता से याद रह गया। सव साधुओं ने निर्णय किया कि अव गुरु महाराज को विनती करके अपने वांचनाचार्य वज्रस्वासी को वनाना। . . . . : गुरू महाराज दूसरे दिन आ गए । साधूओं ने वन्दन करके विनती की कि हे प्रभो । अव हमारे वांचनाचार्य वज्रस्वामी को चनाओं। इनसे हम शीघ्र सीख.. लेते हैं।.. . . गुरू महाराज ने तभी से वांचनाचार्य वज्रस्वामी को बनाया । इस तरह ले. वज्रस्वामी के अनेक प्रसंग शास्त्रों में टांके गए है। उनमें से यहां तो दो तीन ही प्रसंग का वर्णन किया है। अन्तमें तेओश्री रथावर्थ पर्वत ऊपर जाकर अनशन करके साधना में लीन वने ।। धन्य हैं इन महापरूष को । ....... . .. .. मानव जीवन में प्रभु शासन मिलने के बाद भी कितने ही जीव शासन के हार्द को नहीं समझते । और शासन को बदनाम करते हैं। उनसे दूर रहके आत्मकल्याण में एक तान वनो यही हृदय की मनो कामना ।