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व्याख्यान-छच्चोसवाँ
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विद्याधर के साथ मदनरेखा ने शाश्वत चौत्वों को . जहार किया । जीवन धन्य बन गया।
एक विशाल पटांगण में एक ज्ञानी गुरु महाराज धर्मदेशना दे रहे थे। दोनों जन वाहर आके धर्म श्रवण करने वैठ गये। महात्माने तत्वज्ञान भरी देशना दी । श्रोता डोलने लगे। ... - यहां मदनरेखा का पति आराधना के वल से मृत्यु प्राप्त करके देवलोक में उत्पन्न हुआ.
देवशया में उत्पन्न होते ही उपयोग द्वारा जाना कि मुझे देवलोक में भेजने वाली मेरी प्रियतमा है। इसलिए प्रथम तो मैं मुझे आराधना कराने वाली पत्नी को नमस्कार कर आऊँ फिर देवलोक के. सुख भोगने की वात । . नूतन देव चला नन्दीश्वर द्वीप में । जहां महात्मा देशना दे रहे थे। वहां नारी सभा में मदनरेखा एक 'चित्त से देशना सुन रही थी। वहां आके मदनरेखा के चरणकमल में देव नमन करने लगा।
श्रोता चिल्लाने लगे। अशातना! अशातना ! पहले महात्मा को नमस्कार करना चाहिए फिर दूसरे को।
. ज्ञानी महात्मा.ने ज्ञान बल से देखा कि इस देवका ध्येय उपकारी का बहुमान करना है। लेकिन अशातना करना नहीं है । . . . ...
गम्भीर वाणी. से. महात्मा वोले. श्रोताओं ! . अपने उपकारी को नमस्कार करने के लिए देवलोक में से यह ... देव आया है।