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व्याख्यान-छब्बीसवाँ
उसके माता पिता ने भी सुभद्रा का उस युवक के साथ ही लग्न किया ।
कपट युक्त जीवन बनाके युवक ने लग्न करके ये नवयुवान अपनी प्रिया सुभद्रा को लेकर चम्पानगरी में थाया। .
. . सुभद्रा ने श्वश्रुगृह में पंग रखे । सुभद्रा समज्ञ गई कि ये तो जैनेतर का घर हैं। संस्कार विहीन है। कपट भाव से धर्मी वनकर यह युवक मुझे परणा है। (यानी मेरे साथ शादी की है) । - खैर ! जो वनना था सो तो बन गया । अव शोक करने ले क्या हो सकता है ? एसा विचार करके शान्ति से जीवन जीने लगी।
सुभद्रा का धर्ममय वर्तन घर के लोगों को पसन्द नहीं आया । इससे ससुराल में सुभद्रा को नफरत से देखने लगे। ___एक दिन एक संत महात्मा सुभद्रा के ससुर के घर गोचरी को आये। .. सुभद्राने भाव ले वहोराया। मुनि की आंख के सामने देखने से सुभद्रा को मालूम हुआ कि मुनि की
आँख में तगखला (तिनका) पड़ा है, और उनकी आँख लाल चोल बन गई है। सुभद्रा ने कुशलता से अपनी जीभ से मुनिकी आँख में से तिनका दूर किया।
लेकिन इसकी कपाल (ललाट) के सिन्दुर का दाग मुनि के कपाल में लग गया। ... गोचरी लेके घर बाहर निकलते मुनि. कपाल में