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व्याख्यान-चौवीसव
भोगकी अढलक सम्पत्ति होने पर भी परमात्मा के - कल्याणक मनाने का मन देशों को भी होता है। तो फिर मनुष्यों को तो होना ही चाहिये।
___ कल्याणक की उजवणी करने से समकित निर्मल होता है। और समकित न पाये हो तो समकित प्राप्त हो जाता है। - अपनी वर्षगांठ मनाने में जो आनन्द आता है उसकी अपेक्षा अधिकाधिक आनन्द प्रभुकी वर्षगांठ मनाने में थाना चाहिये।
भगवानका जन्म सुनके देव दौडा दौड करने लग जाते हैं । क्योंकि भगवान की पुन्य प्रकृति उनको खेच लाती है।
भगवान को ऋद्धिके आगे देवोंकी ऋद्धि भी कोयला जैसी है। तो मानवों की तो वातही कहां ? कल्याण के पंथमें आगे बढो यही शुभेच्छा ।