________________
३०४
प्रवचनसार कणिका
-
हमारे साथ रहे । नृत्य सीखे। और उस कलाले किसी राजा को प्रसन्न करले इनाम प्राप्त करे तभी हमः । हमारी कन्या देते हैं।
इलाची के मां बाप एसी कबूलात कैले कर सकते हैं ?
लेकिन इलाची ने तो माँ बाप की भी परवाह छोड्दी । छोड़ दिया घरवार और चला नटमंडली के साथ ।
उसे तो सिर्फ नट कन्या की ही लगनी लगी थी। उसके विना सारा संलार उसे शुष्क लगता था । . नट मंडली के साथ निकल पड़ा इलाची कुमार नृत्य कला में प्रवीण बन गया था। एक दिन किसी बडे नगर में राजा को खेल दिखाने के लिये वह मंडली आई। बाजार के बीचों बीच तैयारी की थी। नृत्य देखने के लिये मानव मेदनी खचा खच भर गई थी। राजा रानी भी वहां आए थे । ढोल शहनाई के मधुर स्वर से वातावरण गुंजित वना था। वहां विषयान्ध. राजा इस नाटक कन्या को देखके मलिन वासना वाला चन गया था। उस राजा ने समझा कि यह कन्या उस... वांस ऊपर चढके आश्चर्य युक्त नृत्य करते उस युवक की पत्नी हो यह संभव है इससे राजा दुष्ट चिन्तन करने लगा।
यह युवान नीचे गिरके मर जाय तो इस नट कन्या को में प्राप्त कर सकता हूँ। - तीन तीन वक्त वांस ऊपर चढके अति सुन्दर नृत्य : करके इस इलायचीने लोगों के मनोरंजन किये । लोग वाह
या उस.
नृत्य करते
पाहा यह संभव