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प्रवचनसार कर्णिक
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वांचनेवाले सुल्ला की चकचकतीचमझती) टाल में मारा। पीछे वहां से इकदम पलायन हो गये। ___इस तरफ मुल्ला फकीर का टाल (सिरकी चाँद) टूट गया। और खून का फुवारा छूटने लगा। सुल्ला गुलांट खाके नीचे गिरा। दूसरे वैठे सभी मुल्ला खड़े . हो गये।
अरे! पत्थर किसले फेंका । पकड़ो ! मारो! दोड़ो । एसा हल्ला करते करते मुल्ला दौड़े। ___ खम्भा के सहारे खड़े राजकुमार को दूर से खड़ा देख के इसने ही पत्थर मारा है एसा मानके सब लकड़ी. लेकर टूट पड़े । और फटाफट लाठियां मारने लगे।
कौन है? कोन नहीं है यह देखने के लिये किसीने विचार नहीं किया ।
थोड़ी देर में सुडदा नीचे गिरा इसलिये किसीने कहा कि देखो तो खरा! यह कौन है ? दिया लाके यहां देखते. है तो राजकुमार।
राजकुमार को देखके लबके होश हवास उड़ गये।
सब अन्दर अन्दर लड़ने लगे । वो कहे तुने मारा. और वह कहे तृने मारा । पसा कहके सव भाग गये ।
लेकिन आगेवान कहां जाय ? वे चिन्तातुर बन गये। अव हो क्या?
मुल्ला फकीर को सारवार (सेवा) तो दूर रही लेकिन उलटी बीचमें ये मुश्किल खड़ी हो गई।
एक आगेवानने कहा कि बुलाओ चौवटिया शेठको इसका रास्ता बेही काढ देंगे।