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Kamarease
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व्याख्यान-पांचवाँ
। भगवान श्री महावीर देव फरमाते हैं कि मोक्षामिलापी __ को मिथ्यात्व का त्याग करना ही पड़ेगा। ___ आश्रव के कारण जीव संसार में भटकते फिरते हैं। - जो यात्मा संवर को करती है वही मोक्ष प्राप्त कर सकती है।
. अज्ञानी जीव कदम कदम पर अनर्थ दंड का सेवन" करते हैं। जिससे पाप का बन्ध होता है। राजकथा,
स्त्रीकथा, देशकथा और भोजनकथा इन चार विकथाओं __ को करने से पुण्यरूपी धन नाश हो जाता है। वस्तुस्वरूप
के-निरूपण के अनुसंधान में कही गई राजा, स्त्रो, देश और भोजन के वर्णन की हकीकत अनर्थ दंड नहीं कहलाती है। विकथा के रूपमें जो हकीकत कही जाती है वही 'अनर्थ दंड है। साधु-धर्मदेशना के समय सभा देखकर ...दरेक रस की बात करता है परन्तु अन्तमें तो वैराग्य रसका ही पोषण करता है।
मायावी प्रपंची जीव स्त्रीवेद को पाते हैं। मल्लिनाथ" भगवान के जीवने पूर्व भवमें मित्रों के साथ माया की थी परन्तु तप करने से तीर्थंकर होने पर भी स्त्री के अवतार में जन्म लिया। अत्यंत पाप की राशि इकट्ठी होती है तभीस्त्री का अवतार मिलता है। तिर्यञ्चों में पुरुषों की अपेक्षा
स्त्रियां तीन गुनी हैं। देवजाति में बत्तीस गुनी और मनुष्य - जाति में सत्ताईस गुनी हैं। ... ...............;