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व्याख्यान-उत्नीसवाँ .....
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- गरम किये शीशा को पीना अच्छा है किन्तु मांस का
भक्षण करना अच्छा नहीं है। कन्दमूल अनन्त काय . कहलाते हैं।
जिनको मोक्षमार्ग की साधना करना हो उनको मनको द्रढ बनाना पडेगा।। __ . मन मजबूत होने के बाद संसार में मजा नहीं आता: है। स्वाध्याय ये संयम का अंग है।
उपधान करने वाले भाई वहन चालू उपधान में जिन मन्दिर में दर्शन करने जाने के टाइम अथवा दूसरे कहीं जाने को निकलते समय गीत नहीं गा सकते । एसा सेन प्रश्न में लिखा है। क्यों कि चलने के लमय गीत गाने से ईया समिति का भंग होता है।
.. चोरी चार प्रकारकी है :- (१) स्वामी से छिपा रखना (२) गुरु से छिपा रखना (३) तीर्थकर ले छिपा रखना (४) जीवको मार डालना।
तप का फल अनाश्रव है। ज्ञान का फल विज्ञान विज्ञान का फल पच्चक्खाण पच्चक्खाण का फल विरति, विरति का फल कर्म निर्जरा और निर्जरा से मुक्ति मिलती है। . ग्लान की सेवा करने से महालाभ होता है।
हृदय में नम्रता का धारण करने वाला ही दूसरों की सेवा कर सकता है । .. . सांसारिक अनुकूलता की झंखना करना उसका नाम आर्तध्यान है। सब जीव दुर्ध्यान के त्जागी बनो यहीं मनोकामना ।