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व्याख्यान-इक्कीसवाँ
घारक बढ गई डाढी मूंछ वाले, और उनको देखकर घड़ी भर डर लगे एसे बीहामणा (भयंकर) होने पर भी मुनि मंडल ने यहां चातुर्मास करने का तय किया ।
सामको पल्लीवासी वंकचूल के भवन के पास एकत्रित हुये । वंकल एक ऊंचे आसन पर बैठ के कहने लगा कि देखो भाइयो, अपने आंगन में आये हुये अतिथि यों का सत्कार करना ये अपना कर्तव्य है। आज अपनी पल्ली में जैन मुनि मंडल चातुर्मास स्थिर रहने के लिये आया है। वे गरम किये पानी के सिवाय अन्य पानी का स्पर्श भी नहीं कर सकते । इस लिये गरम पानी की सभी को व्यवस्था रखनी है। वे अपने यहां से रोटला, दही, दूध और छाश (महा) ले सकते हैं। इस लिये उसकी व्यवस्था भी करना । ये अपना कर्तव्य है। ये महात्मा होने से कभी भी सामने मिलें तो उन को हाथ जोड़ने से अपना कल्याण होता है । इत्यादिक आचार समझा दिये। - अपाढ चातुर्मासका प्रारंभ दिवस आ गया, चौमासा वैठ गया। मुनि ध्यान में तदाकार बने और सौनपने से बातुर्मास गालने लगे। .. चोर चोरी करने में व्यस्त बने । वर्षाऋतु में चोरी अच्छी तरहसे होती है। क्योंकि अंधारी रातमें जब वर्षा होती हो तब कोई पौरजन प्रायः भवनमें से बाहर नहीं निकलता। .
. :: सिंहपरली में रहते इन मुनियों को वन्दन करने के लिये कमलादेवी और सुन्दरी नित्य जाने लगी और रोज वन्दन करके शाता पूछने लगीं। परंतु मुनि भगवंत उनको धर्मलाभ के सिवाय और कुछ..भी नहीं कहते थे।, ....