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प्रवचनसार कर्णिका तप करनेवालों की परीक्षा करना कि तपमें शान्ति रखते हैं कि क्रोध करते है ? जो क्रोधयुक्त तप करने में आवे तो उसकी कोई कीमत (कदर) नहीं है।
तप करनेके वाद पारणा में शान्ति रखनी चाहिए । पहले से ही पारणा की चिन्ता करे कि पारणामें ये . खाऊंगा, वो खाऊंगा ऐसी इच्छा करनेवालों का तप लेखमें लगता नही है।
ज्ञान-ज्ञानी और ज्ञानके उपकरणों की विराधना का त्याग करना चाहिए और उनकी भक्ति करनी चाहिए।
जूठे मुँह बोलना नहीं, पुस्तक वगल में रखना नहीं पुस्तक को शृंक नहीं लगे उसकी तकेदारी (सावधानी) रखनी चाहिए।
लिखे हुए कागज जेवमें हों तो टट्टी-पेशाव नहीं करना चाहिए, करो तो ज्ञानकी घोर अशातना करी कही जायगी।
आज स्कूलमें शिक्षक मुंहमें पान चवाते जाते हैं और पढाते जाते हैं, सिगरेट भी पीते जाते हैं। ऐसे शिक्षक 'तुम्हारी संतानको सुसंस्कारी कैले बना सकते हैं। - लेकिन तुम्हें सुसंस्कारी बनाना ही कहाँ हैं ? छोकरा, छोकरी (लड़के-लड़कियाँ) डिग्री पास करें उसीमें तुमको खुशी होती है। सुसंस्कारी वनें कि कुसंस्कारी बनें इसको तुम्हें परवाह ही कहां है ? अरे! सु अथवा कु संस्कार किसे कहते हैं इसका भी आज तो भान भूला जा चुका है। अच्छी फेशन और छकटो (कट) पहरवेश यही तुम्हारे मन तो सुसंस्कार है। ..