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प्रवचनसार कर्णिका
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पुत्रकी बीमारी का संदेशा सुनके वकचुल के माता पिता उज्जयिनी आनेको रवाना हो गये।
इस तरफ उज्जयिनी से एक अश्वारोही को संदेशा देने मालवपतिने दीपुरी तरफ रवाना किया। मगर रास्ते में ही उसे विमलयश राजा से भेंट हो गई।
पुत्रके दुखद समाचार सुन कर माता पिता कल्पांत करने लगे। लेकिन कुदरत के आगे किसीका भी चलता नहीं है।
चंकचुल का अमर आत्मा स्वयं लिये नियमों का पालन करके स्वर्ग सिधा गया।