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प्रवचनसार कणिका ढाईद्वीप के बाहर मनुष्यों का जन्ममरण नहीं होता है। वहां दिन अथवा रात भी नहीं है।
जम्बू द्वीप में दो सूर्य और दो चन्द्र हैं।
पुरुष का आहार अधिक से अधिक ३२ कोलिया . (कौर, ग्रास) और स्त्रियों का आहार २८ कोलिया (ग्रास) का होना चाहिये। . कोलिया (ग्रास) भी मुर्गी के अन्डा के वरावर होता है। इससे अधिक भोजन करने से शरीर विगड़ता है।
तुम्हें खबर है ? कि जब पाप का उदय आता है .. तव मधुर वस्तुयें भी जहर जैसी बन जाती हैं।
नमि राजपि महावैभवशाली थे। वृद्धि और सिद्धि की कमी नहीं थी। देवांगना जैसी पत्नियां थीं। सर्व सामग्रियों की अनुकूलता होने पर भी पाप का उदयः । किसी को छोड़ता नहीं है।
एक दिन इन नमिराज को अशाता वेदनीय कर्म का उदय आया। शरीर में रोग व्याप्त हो गया। दाहज्वर । की वेदना चालू हो गई। ज्वर की पीड़ा में शरीर गरम गरम वन गया। मुख में से चीस निकलने लगीं। अन्त: पुर में से प्रिय पत्नियां आ पहुँची। काया ऊपर चन्दन का विलूपन करने लगी। पत्नियों के हाथ में सोने की चूडियां थीं।
जिन सौने की चूड़ियां और नूपुर के झंकार का कवियों ने वखान किया था। जिनकी प्रशंसा से हृदय . आनन्दित वने और दिल में धुन गूंजने लगे इन्हीं कंकण का आवाज आज नमिराज के कान में शूल की तरह भोंक दिया हो ऐसा चुभ रहा था ।...
ये मधुर आवाज भी सहन नहीं हो रहा था । मनमें