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व्याख्यान-पन्द्रहवाँ __..स्त्री छठी नरकसे श्रागे नरकमें नहीं जाती है. क्योंकि
स्त्रीमें स्वाभाविक मार्दवता होती है इसलिये वह सातवीं . नरक में जाने जैसे कर्म नहीं वांधती है।. .
चक्रवर्ती का स्त्रीरत्न मरके अवश्य नरकमें जाता है क्योंकि उसमें कामवासना अधिक दीप्त होती है। उस स्त्रीरत्न को सन्तान नहीं होती है और चक्रवर्तीके सिवाय दूसरा उसे कोई भी भोग सस्ता नहीं है। चक्रवर्ती के सिवाय अगर दूसरा कोई भोगे तो मृत्यु को प्राप्त होता
है। स्त्रीरत्न कामवासना की प्रबलता से दीक्षा नहीं ले ... सकती इसलिये मृत्यु प्राप्त करके नियम से नरक में ही जाती है।
अभवी जीव संयम लेते हैं किन्तु उनका संयमपालन सिर्फ देवलोक के सुखकी अभिलापा से ही होता है इस - लिये मोक्षप्राप्ति उनको होती ही नहीं है । जम्बूद्वीप को
छत्र और मेरू पर्वतको दंडा बनाने की शक्ति धारण करने वाले देवों को भी मोक्षकी साधना के लिये मनुष्यगति में ही जन्म लेना पड़ता है। .
जब भूख लगती है तो सूखा रोटला भी मीठा लगता है।
सठ शलाका सिवाय के सभी स्थानों में अपन उत्पन्न हुए हैं। वहां नहीं जानेका कारण अभी तक. अपनमें समकित नहीं आया । .. मरूदेवी माता का जीव निगोदमें से केले के पत्ते में
और वहांसे सरुदेवी हुई। मोक्षमें गयीं। वे दूसरी किसी भी जगह नहीं गई। ... श्रावक को अगर अपनी संतानों की शादी करना