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.प्रवचनसार कणिका
हम धर्मी हैं एसा सव कहने लगे। वास्तविक बात तो . ये थि कि उनके जीवन में धर्म का छींटा भी नहीं था। धर्मी बनना नहीं है किन्तु धर्मी कहलाने की इच्छावाले हैं।
उसके वाद काले तम्बू की मुलाकात लेने पर वहां रहनेवाले दोनों भाविकों से पूछने पर प्रत्युत्तर मिला कि : हम पापी कहलाते हैं इसी लिये इस काले तम्बू में हमः । आये हैं। __अभयकुमार कहने लगा कि-हे महाराज, परीक्षा हो गई ना ? शेणिक महाराज समझ गये कि अभयकुमार के कहे अनुसार जगत में धर्मी कम और पापी बहुत हैं। . सच्चा कहा जाय तो ये दोनों ही धर्मी हैं। .
साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका इन चारों को हर पखवारे (पक्ष) में एक उपवास करने की आज्ञा है। जो न करें तो प्रायश्चित्त लगे। . जो आदमी देव द्रव्यका भक्षण करता है, गुरु महाराज की निन्दा करता है और परदारा लम्पट है वह नरक जाता है। - एक लाख नवकार जप विधिपूर्वक गिनने ले तीर्थंकर नामकर्म वन्यता है। 'पहली . नारकीमें उत्पन्न होनेको ३०. लाख स्थान हैं दूसरी 'तीसरी चौथी पांचवीं ..
छट्ठी .
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