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प्रवचनसार कर्णिका मश्खन छाश (महा) से भिन्न हो तो अभक्ष्य हो । जाता है। विगई दश हैं। उनमें छः भक्ष्य और चार अभक्ष्य हैं ।
दूध, दही, घी, तेल मोर (गुड़) और तली वस्तु ये : छ भक्ष्य विगई हैं। इन्हें लघु विगई कहते हैं। मध, मदिरा, मांस और मक्खन ये चार अभक्ष्य विगई हैं। इन्हें महाविगई कहते हैं। अभक्ष्य विगई त्याज्य हैं।
नित्य पूजा, प्रतिक्रमण करनेवाले श्रावकों को इस . क्रियासें सूतक नहीं लगता है । जन्म सूतक अथवा मरण सूतक आवश्यक क्रियासें नहीं लगता है।
हीर प्रश्न और सेन प्रश्नमें लिखा है कि जिसके घर सूतक हो वहाँ साधु-लाध्वी दश अथवा बारह दिवस वहोरले (गोचरी लेने यानी आहार लेनेको) नहीं जाते हैं। प्रसूतिवाली वहन सवा महीना तक पूजा नही करसकती है।
इस्पिताल (अस्पताल, होस्पिटल) सुवावड (सोर, बालक जन्म, प्रसूति) हुई हो तो वहां से सूतक घर नहीं आ लकता। आज अस्पताल अथवा बाहरगाँव की प्रसूति का भी सूतक माना जाता है क्या ? अस्पताल में से उठ के घर सूतक आता है ? वस्बई में हुई प्रसूति का सूतक क्या यहां आ सकता है ? तो फिर सूतक किस का? ।
भवाभिनंदी आत्मा दीनता को करती है। और आत्मानंदी दीनता का त्याग करती है।
मिथ्यात्व पांच प्रकार का है। पाचों प्रकार के . मिथ्यात्व का त्याग करने में प्रगति शील बनना चाहिये।
कर्मवन्ध के चार प्रकार हैं । (१) प्रकृतिवन्ध (२) स्थितिवन्ध (३) रसवन्ध (8) प्रदेशवन्ध ।