________________
( P
ranit
-
-
व्याख्यान-पन्द्रहवाँ
अपने एरम उपकारी अरिहंत भगवंत पृथ्वी पर विचरते हैं और पृथ्वी के जीवोंको धर्ममार्ग में लगाते लगाते मोक्ष जाते हैं। .... बहु आरंभी, बहु परिग्रही और मोह-माया से भरे • जीव नरकमें जाते हैं। . .
श्रेणिक महाराजा कहने लगे कि जगत में पापी कम हैं और धर्मी अधिक हैं। तव अभय कुमारने कहा कि धर्मी कम और पापी बहुत हैं। लेकिन राजा इस वातको मानता नहीं था। परीक्षा करने के लिये दो तम्बू बंधाये, एका काला और एक सफेद ।. राजगृही में. दांडी पिटाई .. यानी घोषणा करादी कि जो धर्मी हों वे सफेद तम्बू में जाये और जो पापी हों के काले तम्बू में जाये । राजा सवका स्वागत करने लगा। राजा की याज्ञा सुनकर के नगरीमें दौडादौड़ होने लगी। सभी सनुष्य सफेद तम्बू में जाले लगे, लेकिन काले तम्बू में कोई जाता नहीं था। उनमें दो सच्चे धर्मा थे जो धर्म ही करते थे किन्तु लर्व विरति नहीं ले सकते थे। वे विचार करने लगे कि अपन 'पाप करने वाले हैं, इसलिये अपनको काले . तम्बू में ही जाना चाहिये । एसा विचार करके ये दोनों काले तम्बूमें गये । अव राजा और अभयकुमार पहले सफेद तम्बू की मुलाकात लेने गये। वहां रहनेवालों से पूछने लगे। तवं