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प्रवचनसार कर्णिका
जो साधु विलकुल पढे नहीं हो किन्तु पूरी श्रद्धा रखते हों तो मोक्ष जा सकते हैं। और तपश्चर्या आदि - सब करते हों परन्तु श्रद्धामें खामी हो तो मोक्ष नहीं 'जासकते हैं।
सामायिक में भी संसारी विचार करने वाले को • सामायिक कैसे तार सकती है।
नारकी में रहनेवाले समकिती जीव वेदना को समभावे सहन करते करते विचार करते हैं कि हंस हंसकर के 'पूर्व में जो कर्म वांधे हैं वे यहां भोगना ही हैं । वे परमा- .. धामी देवों की तरफ नहीं देखते हैं किन्तु कर्म को तरफ देखते हैं । जैसे सिंह तरफ कोई गोली चलावे तो सिंह गोली तरफ नहीं देखकर के गोली चलानेवाले की तरफ 'देखता है।
__जो माता पिताकी आज्ञा मानने वाला होता है वही दीक्षा लेने के योग्य है। माता पिता की आज्ञा नहीं मानने वाला दीक्षा लेने के अयोग्य है। माता पिता और धर्मदाता गुरु के उपकार का बदला नहीं चुकाया जालकता है। 'ठाणांग सूत्र में कहा है कि-पुत्र अपने माता पिताको सुन्दर स्वच्छ पानी से स्नान करा के सोने के पाटले पर बैठा के पांच पकवान्न और रसवती खिलावे और पंखा से पवन करे तो भी माता पिताके उपकार का बदला नहीं चुका सकता है। किन्तु अधर्मी माता पिता को धर्म प्राप्त करावे. तो वदला चुका सकता है।
उपकारी के उपकार को नहीं भूले वह सज्जन और उपकारी के उपकार को भूल जाय वह दुर्जन । .. . आगे की स्त्रियां. दुखमें अपने कर्म का दोष मानती -थीं । लेकिन अपने पति का दोष नहीं मानती थीं। ..