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व्याख्यान-छटा
पंचसांग श्री भगवती सूत्र के कर्ता पांचवाँ गणधर . श्री सुधर्मास्वामी हैं। भगवती सूत्र में श्री गौतम स्वामी के द्वारा श्रमण भगवान महावीर परमात्मा को पूंछे गये ३६००० प्रश्न और उत्तर का वर्णन है। . . .
भगवान श्री महावीर देव वहां कहते हैं कि "चलमाणे चलिये"। अर्थात् कोई आइसी चलने लगे तभी से चला कहलाता है। जैसे एक मनुष्य वस्वई जाने के लिये तैयार हो करके घर ले स्टेशन गया। इतने में कोई दूसरा मनुष्य उसके घरवालों को पूछता है कि अमुक भाई कहाँ है ? तो जबाव क्या मिले कि वस्वई गये हैं। तो स्टेशन पर भी नहीं पहुंचाहो फिर भी बम्बई गया एसा कहा जाता है। इस सिद्धान्त का नाम है "चलमाणे चलिये”।
शरीर पांच प्रकार के हैं :
(१) औदारिक (२) वैक्रिय (३) आहारक (४) तेजस और (५) कार्माण ।
मनुप्य और तिर्यंचका शरीर औदारिक कहलाता हैं। देव और नारकी का शरीर वैक्रिय कहलाता है। खाये हुए अनाजको पचानेवाले तथा आत्मा के साथ संवन्धित कर्म समूहको अनुक्रम से तैजस और कार्माण कहते हैं। चौद पूर्वी साधुभगवंत शंकाके समाधान के लिये तीर्थकर