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प्रवचनसार कणिका
ही ज्ञान प्राप्त करे किन्तु अगर सम्यग्दर्शन नहीं हो तो मोक्ष नहीं मिल सकता है। आश्रव भवका कारण है और संवर मोक्षका कारण है।
मिथ्यात्व दो प्रकारका है। (२) लौकिक (२) और। लोकोत्तर । संसारके लौकिक पर्वोको धर्मपर्व तरीके मानना ये लौकिक मिथ्यात्व है और लोकोत्तर पर्व को भौतिक सुखकी इच्छासे माना जाय तो वह लोकोत्तर मिथ्यात्व है।
और (१) असिग्रहीत (२) अनभिग्रहीत (३) सांशयिक (2) अभिनिवेशिक और (५) अनाभोगी इस प्रकार भी पांच प्रकार का मिथ्यात्व है।
भगवंत की पूजा करके देवदेवी की पूजा करे और फिर संसारके सुखकी मांग करे तो वह लोकोत्तर मिथ्यात्व है। इसीका नाम लोकोत्तर मिथ्यात्व है। ___ एक शेठ खूब धनवान थे। परम श्रद्धाशील थे । कालान्तर में आधी रातके समय लक्ष्मी देवी आकर के कहती है कि हे शेठ, में सात दिनमें जानेवाली हूँ। तब शेठजी बोले कि तू तो सातवें दिन जाने को कहती है परन्तु मैं तो तुझे छठे दिन ही निकाल दूंगा। दूसरे दिनः । के मंगलप्रभात से शेठने सात क्षेत्रों में लक्ष्मी को उदारता से देना शुरू कर दिया। सात दिन पूरे होने के पहले तो पूरी लक्ष्मी वापर दी। अव सातवीं रातको शेठ कंथा पर सो रहे थे। शेठजी भरनिद्रा में सो रहे थे तव लक्ष्मी जगा करके कहती है कि शेठ, अब मैं जानेवाली नहीं हूं। आपके यहां ही फिरसे आऊंगी। तब शेठजी कहते हैं कि तेरा मेरे यहां कुछ भी काम नहीं है, क्योंकि मैं तो कल दीक्षा लेने वाला हूं। यह है पुन्या का प्रभाव । ...
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