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49 श्वेताम्बर परम्परा में त्रिशला को चेटक की बहन माना है और चेटक के सात पुत्रियाँ मान्य हैं- प्रभावती, पद्मावती, मृगावती, शिवा, ज्येष्ठा, सुज्येष्ठा और चेलना। प्रभावती का विवाह सिन्धु सौवीर देश के राजा उदयन से हुआ, पद्मावती चम्पा के राजा दधिवाहन से, मृगावती कौशाम्बी के राजा शतनीक से, ज्येष्ठा महावीर के भाई नन्दिवर्धन से और चेलना राजगृही के राजा श्रेणिक से ब्याही थी और सुज्येष्ठा साध्वी हो गई थी। उससे यह ध्वनित होता है कि मातृकुल के प्रभाव के कारण महावीर के सौवीर, अंग, वत्स, अवन्ती, विदेह और मगध के राजघरानों से सम्बन्ध थे।
श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार महावीर का गर्भ परिवर्तन हुआ। एक देव ने महावीर को ब्राह्मणी देवनन्दा के गर्भ से त्रिशला के गर्भ में परिवर्तित किया। ‘भगवतीसूत्र' में महावीर स्वयं कहते हैं कि देवनन्दा मेरी माता है। दिगम्बर लोग इसे हास्यास्पद समझते हैं। गर्भ परिवर्तन का विचार जैनों की मौलिक रचना नहीं है। यह उस पौराणिक कथा की अनुप्रतिकृति है, जिसके अनुसार श्रीकृष्ण को देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में परिवर्तित किया गया। डा. याकोबी ने टिप्पणी में कहा है “मेरा अनुमान है कि सिद्धार्थ के दो पत्नियाँ थीं, एक ब्राह्मणी देवनन्दा, जो महावीर की वास्तविक माता थी और एक क्षत्रियाणी त्रिशला। त्रिशला के साथ विवाह होने से उच्चवंशी तथा महान् प्रभुत्वशाली व्यक्तियों के साथ उनका सम्बन्ध हो गया, इसलिये सम्भवतया यह प्रकट करना कि महावीर त्रिशला का दत्तक पुत्र नहीं, किन्तु औरस पुत्र है, अधिक लाभदायक समझा गया।" वस्तुत: याकोबी ने क्लिष्ट कल्पना का सहारा लिया है, जो अमान्य है।
दिगम्बर परम्परा के अनुसार महावीर अविवाहित ही रहे, न उन्होंने स्त्री सुख भोगा और न राजसुख । श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार उनका विवाह यशोधरा से हुआ और उनकी कन्या जमालि से ब्याही गई। .
__ 'आवश्यक नियुक्ति' की गाथा के अनुसार “महावीर अरिष्टनेमि, पार्श्व, मल्लि और वासुपूज्य को छोड़कर शेष तीर्थंकर राजा थे और ये पाँचों तीर्थंकर यद्यपि राजकुल और विशुद्ध क्षत्रिय वंश में उत्पन्न हुए थे, फिर भी उन्हें राज्याभिषेक इष्ट नहीं हुआ और उन्होंने कुमार अवस्था में ही प्रव्रज्या ग्रहण कर ली।"
वीरं अरिट्ठनेमि, पासं, मल्लि च वासु पुजंच। ए ए मात्तुण जिणे अवसेसा आसि रायण्णिी ।। रायकुलेसु वि जाया विसुद्धवंसेषु खत्तिय कुलेसु।
न च इच्छिया मेसया कुमार वासंमि पव्वया ॥ जिन्होंने कुमार अवस्था में प्रव्रज्या धारण की उन महावीर, अरिष्टनेमि, पार्श्व, मल्लि और वासुपूज्य को छोड़कर शेष तीर्थंकरों ने विषयों का सेवन किया
1. Dr. H. Yakobi, The Sacred Book of the East, Page 22, Page 31 2. आवश्यक नियुक्ति, 243, 244 सूक्ति
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