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254 अनेक दिग्गज विद्वान हुए। अनेक बहुमूल्य ग्रंथों का सृजन भी हुआ, परन्तु किसी में ओसवाल वंश की उत्पत्ति का उल्लेख नहीं है। तो क्या बिना उत्पन्न हुए ही 11वीं सदी से ओसवाल वंश के अनेक गोत्रों के भारत के सुदूर में फैले हुए शिलालेखों की बाढ आ गई ? जिस तरह सैकड़ों शिलालेखों में खरतरगच्छ के आचार्यों के नाम ओसवाल गोत्रों से जुड़े हैं, उसी तरह उपकेशगच्छ एवं अन्य गच्छों के आचार्य के नामे ओसवाल गोत्रों से जुड़े मिलते हैं। यह सिलसिला बीसवीं सदी तक निरंतर चलता रहा है। ऐसे हालात में जब अन्य किसी गच्छ में ओसवाल वंश की उत्पत्ति के बारे में कोई उल्लेख नहीं मिलता तो उपकेशगच्छ के मान्य ग्रंथों एवं ओसवाल वंश की उत्पत्ति सम्बन्धी उल्लेखों को नकारना कहाँ तक उचित है ?!
__ उपकेश शब्द के साथ ओसवालों का सम्बन्ध सिद्ध प्राय है एवं जिसे सभी इतिहासज्ञ एवं पुरातत्ववेत्ता भी स्वीकार करते हैं।
जहाँ तक ‘उपकेशगच्छ पट्टावली' की प्राचीन पाण्डुलिपि न मिलने का प्रश्न है, इस संदर्भ में कहा जा सकता है, 'विक्रम संवत् 523 में देवधिक्षमाश्रमण ने आगम पुस्तकारूढ़ किये। इसके पूर्व आगम वाचनाओं में आगमों को लिपिबद्ध करने का उल्लेख नहीं मिलता।
आगमों में प्राचीनतम पाण्डुलिपि आवश्यक सूत्र की विक्रम संवत् 1199 की है। डा. कस्तूरचंद कासलीवाल (राजस्थान का जैन साहित्य, 1977) के अनुसार प्राचीनतम ताड़पत्रीय पाण्डुलिपि विक्रम संवत् 1117 की है। अगर वीरात् 80 के बदली शिलालेख को बाद दे दिया जाय, जिसे कुछ इतिहासकार प्रामाणिक नहीं मानते, तो छठी/सातवीं शताब्दी के पूर्व का कोई शिलालेख उपलब्ध नहीं है। बाद के लिखे गये ग्रंथों एवं शिलालेखों (विक्रम संवत् 530-585 या 757827) एवं उद्योतन सूरि की कुवलयमाला' (छठी सदी) को प्राचीनतम एवं प्रारम्भिक रचनाएं माना गया है। इन ग्रंथों में उपकेश जाति का उल्लेख भी हुआ है।
जैन श्वेताम्बर मतों का प्रादुर्भाव ईसा पूर्व दूसरीशताब्दी में हुआ, यह सभी इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ता स्वीकार करते हैं। कालांतर में उनके विभिन्न गच्छों एवं गणों की स्थापना हुई परन्तु किसी भी गच्छ का प्राचीनतम शिलालेख 11वीं शताब्दी के पहले का नहीं मिलता है, जैसा कि निम्न तालिका से स्पष्ट है
गच्छ का नाम प्राचीन शिलालेख का समय प्राप्ति स्थान 1. वृहदगच्छ संवत् 1143
कोटरा (सिरोही) 2. चन्द्रगच्छ . संवत् 1231
जालौर 3. नगेन्द्रगच्छ संवत् 1088
ओसिया 4. निवृत्तिगच्छ संवत् 1469 5. कोरटक गच्छ संवत् 1088
सिरोही 6. उपकेशगच्छ संवत् 1194 अजारी
(सिरोही)
सिरोही
1. इतिहास की अमरबेल- ओसवाल, पृ 124-125 2. वही, पृ 126-127 3. वही, पृ 129
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